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मेहंदीपुर बालाजी राजस्थान में 25 दिसम्बर को होगा विधिविधान से अंतिम संस्कार
राजनांदगांव। देश के प्रसिद्ध संत व अखिल भारतीय चर्तु: सम्प्रदाय के श्रीमहंत श्रीश्री 1011 योगाधिराज ब्रम्हर्षि बर्फानी दादा जी का कल बुधवार 23 दिसम्बर की रात्रि गुजरात के अहमदाबाद में देवलोक गमन हो गया। सरल व अपने भक्तों के लिए हमेशा आशीर्वादक के रूप में आगे रहने वाले श्री बर्फानी दादा जी के देवलोक गमन की सूचना भक्तों के बीच पहुंचते ही राजनांदगांव सहित पूरे देशभर में गुरुपरिवार और भक्तों में शोक का माहौल है।
संस्था के सचिव गणेश प्रसाद शर्मा ‘गन्नू’ ने बताया कि देशभर में पहचान बना चुकी गर्भगृह में विराजमान मां काली स्वरूपनी मां पाताल भैरवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी दश महाविद्या द्वादश ज्योर्तिलिंग शिव शक्ति सिद्धपीठ की 16 अक्टूबर 1996 को नीव रखने वाले देश के प्रसिद्ध संत व संस्था के आशीर्वादक श्री बर्फानी दादा जी के निधन की खबर मिलते ही संस्था के अध्यक्ष राजेश मारू सहित अन्य भक्तजन राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी स्थित आश्रम के लिए रवाना हो गये।
वहीं श्री बर्फानी दादा जी का अंतिम संस्कार विधि क्रिया साधु संतों के विधि विधान के अनुसार 25 दिसम्बर को दोपहर 2 बजे मेहंदीपुर राजस्थान में किया जाएगा। दादा जी के अंतिम यात्रा में सम्मिलित होने भक्तजन पहुंच रहे हैं वहीं लोगों को इसकी जानकारी होते ही स्तब्ध रह गए।
हाल ही में श्री बर्फानी दादा जी ने 5 व 6 दिसम्बर को अयोध्या प्रवास के दौरान रामलला व हनुमान गढ़ी के दर्शन के अलावा 14 कोसी परिक्रमा भी की थी वहीं 7 दिसम्बर को अपने गुरु के पुण्यतिथि पर साधु संतों का विशाल भंडारा भी आयोजित किया था। इसके पश्चात वे मेहंदीपुर प्रवास पर थे।
स्थानीय बर्फानी धाम में पुष्पांजलि की व्यवस्था
मां पाताल भैरवी सिद्दपीठ व बर्फानी सेवाश्रम समिति के सचिव गणेश प्रसाद शर्मा ‘गन्नू’ ने बताया कि मानव सेवा एवं जनकल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले देश के प्रसिद्ध संत श्री बर्फानी दादा जी के बैकुंठ वासी होने पर उनके स्थानीय भक्तों व श्रद्धालुओं के लिए पुष्पांजलि की व्यवस्था बर्फानीधाम केजिस कक्ष में श्री बर्फानी दादा जी भक्तों से मुलाकात करते और आशीर्वाद देते थे उस कक्ष में की गई है।
श्री बर्फानी दादा जी का ही पुण्यप्रताप था कि संस्था द्वारा प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा पर स्वांस, दमा व अस्थमा पीड़ितों को जड़ीबुड़ीयुक्त खीर प्रसाद का नि:शुल्क वितरण किया जाता था। उस प्रसाद को लेने देशभर से हजारों की संख्या में पीड़ितजन आते थे। इस महान संत के निधन से देश के कोने कोने में रहने वाले उनके भक्तों के बीच शोक की लहर है।