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रियासतकालीन नाले का राजस्व नक्शे से गायब होना खैरागढिया पचा नहीं पा रहे। वे आक्रोशित हैं, पर आपा नहीं खोए हैं। मिम्स बनाकर व्यंग्य के जरिए शालीनता से विरोध जता रहे हैं।
आखिर प्रसिद्ध रंग निर्देशक पद्मश्री बंसी दा दो साल पहले यही तो सिखाकर गए थे।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के थिएटर विभाग में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में पहुंचे सुप्रसिद्ध रंग निर्देशक पद्मश्री बंसी कौल ने प्रासंगिक टिप्पणी की थी।
कहा था- 'आपके रुलर (शासक) आपकी हंसी पर अटैक कर रहे हैं। वे चाहते हैं कब ये मनुष्य हंसना बंद कर दे। क्योंकि जब कोई हंसता है तो विचार करता है। क्योंकि यही आपका प्रोटेस्ट (विरोध) है।'
उन्होंने एक बात और कही थी, 'विसडम (बुद्धिमता) सामूहिकता से निकलती है। जब समूह में किसी बात पर चर्चा होती है तो वहीं कही गई बातों में से कोई ऐसा वाक्य निकलता है, जिसे बुद्धिमान पकड़ते हैं।'
पहले वीडियो देखें और सुनें क्या कहा था बंसी दा ने...
एसडीएम मैडम देखिए! ऐसे हंसकर विरोध जता रहा है खैरागढ़…
जैन मंदिर के बाजू वाले नाले को लेकर कराए गए सर्वे में हिस्सा लेने वाले 300 लोगों में से 96.7% लोगों ने उसे बहते देखा है। इनमें से 80% कह रहे हैं कि नक्शे से नाले का गायब होने के पीछे साजिश है, लेकिन नायब तहसीलदार और आरआई नहीं मान रहे। ऐसे में लोगों ने कुछ मिम्स और व्यंग्यात्मक टिप्पणी के जरिए सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी है।
वरिष्ठ पत्रकार राजू अग्रवाल ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा, 'राम नारायण बागीचे के सामने नाला नहीं था, फिर स्टेट हाईवे में पुलिया क्यों बनाया?'
इस पर अशोक ओसवाल ने टिप्पणी की, 'पुलिया तो हवा जाने के लिए बनाया गया है।'
इसी में सेवानिवृत्त प्राचार्य व साहित्यकार बालकृष्ण गुप्ता 'गुरू' ने भी अपनी टिप्पणी जोड़ी, लिखा- 'बिल बनाने के लिए पुलिया बनाया है।'
यू ट्यूब और फेसबुक पर बेबाकी से अपना विचार रखने वाले युवा विनायक सिंह ने तीन मिम्स बनाए हैं…
इसी तरह विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने भी कुछ मिम्स भेजे हैं...
अफसर कागज में चाहे जो लिख लें, खैरागढ़ का बच्चा-बच्चा नाले के किस्से से वाकिफ हो चुका है। नाले की तलाश तो नगर पालिका ने पूरी कर ली, अब उस शख्स को ढूंढना है, जिसने नक्शे से नाले को गायब कर दिया।
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