रायपुर: सुपर मल्टी स्पेशियलिटी MMI अस्पताल प्रदेश का नामी अस्पताल माना जाता है, लेकिन अस्पताल के संचालक मंडल के बीच जारी नोकझोक से इसकी पुरानी प्रतिष्ठा पे कई सवालों खड़ा कर दिया है,
इस विवाद की वजह से अस्पताल आने वाले मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जल्दी ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो शायद इस अस्पताल का कोई नाम लेने वाला भी नहीं बचेगा।
इस विवाद की वजह से अस्पताल आने वाले इस विवाद की वजह से अस्पताल आने वाले मरीजों को भी परेशानी हो रही है।
अस्पताल का मजबूत प्रबंधन और इलाज की बेहतरीन व्यवस्था इसे प्रदेश के अन्य अस्पतालों में अलग और खास बनाता था, लेकिन अस्पताल के संचालक मंडल के बीच छिड़े बड़े विवाद से अस्पताल की व्यवस्था और इसकी ख्याति दोनों पर इन दिनों ग्रहण सा लग हुआ है,
दरअसल अब ये अस्पताल सुपर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल कम, कोविड अस्पताल ज्यादा लगने लगा है।
अस्पताल के अंदर घुसते ही कोरोना संक्रमण की जांच करा रहे लोगों की लंबी कतार नजर आती है, ग्लब्स, मास्क, फेस शील्ड में ढंके स्वास्थ्य कर्मचारी इसे पहली नजर में ही कोविड अस्पताल का अहसास कराने लगते हैं।
इसके चलते अब नॉन कोविड मरीज यहां इलाज कराने से भी कतराने लगे हैं, इसका सीधा सीधा असर अस्पताल में आने और भर्ती होने वाले नॉन कोविड मरीजों की संख्या पर पड़ रहा है, ऐसे में अस्पताल की आर्थिक सेहत भी सवालों के घेरे में हैं।
खुद प्रबंधन भी कम होते मरीजों की संख्या स्वीकार कर रहे है।
अस्पताल के संचालक मंडल के बीच जारी विवाद और स्वयंभू कार्यकारिणी के फैसलों के कारण अस्पताल के डॉक्टरों पर भी खासा असर पड़ा है।
बताया जा रहा है कि अस्पताल के डॉक्टर भी दो गुटों में बंट गए हैं, जिसका असर मरीजों के इलाज पर पड़ने की आशंका है।
इसके अलावा, यहां पर संचालित नर्सिंग कॉलेज को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
कॉलेज के बाहर काउंटर पर बाउंसर किस्म के दो दो युवक हमेशा तैनात रहते हैं, वहीं लोग अस्पताल परिसर में ऐसे ही तफरी करते नजर आते हैं।
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