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बड़ा खुलासा / ड्यूटी पर तैनात 1300 कर्मचारी चुनाव को लेकर अलर्ट रहे, जबकि जनपद पंचायत का माहौल कुछ अलग ही रहा। यहां के अफसरों ने मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में कम पैसा बनाने में ज्यादा रुचि दिखाई।
नियाव@ खैरागढ़
1. विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं की सुविधा के लिए आयोग ने तमाम इंतजाम करने के आदेश दिए। जनपद पंचायत के अफसरों ने इन इंतजामों में भी अपना हित तलाश लिया। तभी तो नीचे से ऊपर तक सभी अपना स्वार्थ साधने में लगे रहे।
2. पंचायत सचिवों को माध्यम बनाया गया। चेक पर उनसे राशि तो लिखवाई गई, लेकिन फर्म का नाम उनसे छिपा लिया गया। यहीं से सारा घालमेल शुरु हुआ। तकरीबन 10 गांवों के सचिवों से टेलिफोनिक बातचीत हुई तो उन्होंने यह बात स्वीकारी भी।
हद हो गई / व्हील चेयर की खरीदी में कमीशनखोरी
3. चुनाव के दौरान दिव्यांग और वृद्ध मतदाताओं को सुविधा देने सभी 100 पंचायतों में व्हीलचेयर की खरीदी की गई। इसके लिए किसी तरह का टेंडर नहीं निकाला गया। लोकल के ही एक मेडिकल स्टोर्स से इसकी खरीदी करने कहा गया। हरेक व्हीलचेयर के पीछे कमीशन फिक्स था।
4. सचिवों के मुताबिक उन्हें मेडिकल स्टोर्स का नाम बता दिया गया था और सीधी खरीदी के लिए कहा गया। आंकड़ों के मुताबिक पूरे विधानसभा क्षेत्र में 2373 दिव्यांग हैं। सिर्फ खैरागढ़ के पंचायतों में यह संख्या आधी से भी कम होगी। चुनाव के बाद इन व्हील चेयर्स के उपयोग को लेकर भी अफसरों के पास कोई प्लानिंग नहीं।
खूब कारोबार / सीईओ के कैबिन से बिका कैमरा
5. चुनाव के दौरान फोटो खींचने के लिए जिला पंचायत से मौखिक आदेश का हवाला देते हुए पंचायतों को कैमरा खरीदने कहा गया। फिर लोकल के ही किसी एक एजेंसी से कैमरा मंगवाकर जनपद में रखा गया। बाद में यही कैमरा पंचायतों को बेचा गया।
6. बड़ी बात ये कि एक कैमरे के एवज में फर्म का नाम लिखे बिना नौ हजार 926 रुपए का चेक कटवाया गया। सचिवों ने बताया कि कैमरा सीईओ के कैबिन में ही रखा गया था और चेक देने के बाद वहीं से उन्हें सौंपा गया। सचिवों को यह तक नहीं मालूम कि आखिर इसकी खरीदी कहां से हुई?
कैमरे में 3227 और व्हील चेयर में 1500 की कमाई
7. पंचायतों को बेचे गए कैमरे का मार्केट रेट 6769 बताया गया है, जबकि सचिवों से 9926 रुपए का चेक मांगा गया है। हरेक कैमरे के पीछे 3227 रुपए की कमाई। यानी 50 कैमरे बेचकर एक लाख 61 हजार 350 रुपए अफसरों की जेब में गए।
8. ठीक इसी तरह साधारण व्हील चेयर का मार्केट रेट 4500 रुपए है, जबकि इसके एवज में 6000 रुपए लिए गए। उस पर सचिवों को 500 रुपए का कमीशन दिया गया। कुल 100 व्हीलचेयर में 1500 रुपए के हिसाब से डेढ़ लाख रुपए बचाए गए।
जानिए तीनों जिम्मेदारों ने दिए अलग-अलग जवाब:-
पंचायत सचिव बोले- चेक पर नहीं लिखवाया फर्म का नाम
9. गर्रापार के सचिव संतराम देवांगन और चंदैनी के नंद कुमार साहू ने बताया कि कैमरे उन्हें जनपद से दिए गए और चेक पर फर्म का नाम लिखने से मना किया गया था। जालबांधा के सचिव दुलार कोसरे ने बताया कि व्हील चेयर खरीदने के लिए उन्हें मेडिकल स्टोर्स का नाम बताया गया था। कैमरे उन्हीं पंचायतों में खरीदे गए, जहां नहीं थे।
करारोपण अधिकारी बोले- एडजस्ट की गई राशि
10. व्हील चेयर की कीमत में आए अंतर को लेकर करारोपण अधिकारी चित्तदत्त दुबे पहले बोले कि योग शिविर के दौरान खर्च हुई राशि एडजस्ट की गई। फिर गोलमोल बातें करने लगे। अंत में कहा कि इस बारे में सीईओ साहब बेहतर बता पाएंगे।
सीईओ ठाकुर ने कहा- सरकार से पूछें कैसे करेंगे उपयोग
11. चुनाव के बाद व्हील चेयर के उपयोग के बारे में पूछे गए सवाल को लेकर जनपद के सीईओ ज्ञानेंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि ये सरकार से पूछें। हमने तो केवल ऊपर से आया हुआ आदेश सर्कुलेट किया है। सचिवों ने 14वें वित्त की राशि से खरीदी की। कीमत में अंतर को लेकर सीईओ ने कुछ नहीं कहा। हां, कैमरे की खरीदी पर सफाई जरूर दी। बोले- जनपद से किसी तरह का सामान नहीं बेचा गया है।
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