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खैरा से खैरागढ़ म विराजे मोरे रुख्खड़ बाबा… यह बोल हैं, उस रचना के जिसने पांच दिवसीय रुख्खड़ महोत्सव को भक्ति भाव से भर दिया।
संभवत: रुख्खड़ बाबा पर बना यह पहला भजन है, जिसमें उनकी महिमा का बखान है। इसमें बताया गया है कि बाबा रोज खैरा जाकर नर्मदा कुंड में स्नान किया करते थे। आज भी मंदिर परिसर में उनकी अखंड धुनी प्रज्जवलित है।
पूरी रचना छत्तीसगढ़ी में है और बाबा की महिमा को शब्दों में गढ़ने का काम राजपरिवार की बेटी सपना सिंह ने किया है। इस भजन में एक आवाज उनके बेटे अविराज सिंह (नॉडी) की भी है। पांच दिवसीय महोत्सव के पहले सुराज म्युजिक स्टूडियो प्रोडक्शन हाउस ने इसकी रिकॉर्डिंग की और फिल्माया भी। जैसे ही यह भजन सोशल मीडिया पर वायरल हुआ सैकड़ों लोगों ने इसे शेयर किया।
फिलहाल मंदिर परिसर में यही भजन गूंज रहा है और संगीत नगरी में भक्तिरस घोल रहा है। रुख्खड़ मंदिर ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष रामकुमार सिंह का कहना है कि इससे पहले कभी उन्होंने रुख्खड़ बाबा का भजन नहीं सुना। यह पहली रचना है। सपना ने बेहतर काम किया है।
कांवरियों को प्रसाद में दी भभूति और छोटी किताब
महोत्सव के पहले दिन खैरा से पहुंचे सैकड़ों कांवरियों को रुख्खड़ मंदिर ट्रस्ट समिति ने बाबा की तस्वीर व भभूति के पैकेट के साथ उन पर लिखी एक छोटी किताब भेंट की, जिसमें उनकी महिमा का बखान है। इस किताब में बताया गया है कि बाबा का खैरागढ़ आगमन कब हुआ? तब के शासक कौन थे? इसके साथ देवी-देवताओं की आरती भी है।
बालाघाट सिवनी में है रुख्खड़ वन और बनारस में छोटा मंदिर
रामकुमार सिंह ने बताया कि खैरागढ़ के अलावा रुख्खड़ बाबा विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग रूपों में विराजमान है। इसमें देवादा, नारधा, नागपुर के कुही सहित नैनीताल जाने वाले रास्ते पर रामनगर में भी उनका मंदिर है। यही नहीं बालाघाट-सिवनी के पास रुख्खड़ वन है और बनारस के मणि कनिकाघाट में मंदिर भी।