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खैरागढ़ से देवरी तक बन रही है 13 किमी सड़क, न तराई हो रही और ना ही मटेरियल की क्वालिटी पर दिया जा रहा ध्यान।
खैरागढ़. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत खैरागढ़ से देवरी तक बन रही रोड में बड़ी गड़बड़ी दिखी। बोर्ड पर लिखे पैमाने और रोड पर खोदे गए गड्ढे की माप में आधे फीट का अंतर नजर आया। यानी 9 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बन रही 13 किमी सड़क से आधे फीट का माल गायब होता दिखाई दे रहा है।
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अमलीडीह खुर्द जाने वाली रोड के समानांतर बन रही इस सड़क पर सर्रागोंदी गांव तक 8 से 10 स्थानों पर सड़क बनाने के लिए खोदे गए गड्ढे की गहराई नापी गई। सभी जगह एक फीट गहरा गड्ढा मिला, डेढ़ फीट का नहीं। जबकि रोड की शुरुआत में लगे बोर्ड पर बने डिजाइन में गहराई स्पष्ट है, 1.50 फीट उसी के नीचे 0.500 मीटर।
अब आधे फीट का माल, कहां गोलमाल हो रहा है ये फील्ड में जाने वाले अफसर ही बता सकते हैं। फिलहाल जानकार ये कह रहे हैं कि 13 किमी तक आधे फीट का मुरुम व मेटल बचाया जा रहा है। इससे लाखों रुपए की गड़बड़ी हो सकती है। अगर ध्यान नहीं दिया तो रोड भी घटिया बनेगी।
आमदनी के पास हो रहा डामरीकरण
खैरागढ़ से देवरी की यह सड़क 24 जून 2020 से बननी शुरू हुई है, जिसे 23 अगस्त 2021 तक पूरा किया जाना है। इसका ठेका मेसर्स आरके कंस्ट्रक्शन कबीरधाम को मिला हुआ है और फिलहाल देवरी से शुरू हुअा डामरीकरण आमदनी तक पहुंचा है। वहां काम जारी है। इधर गड्ढों के माप में पाया गया अंतर गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
डाल रहे डस्ट, नहीं हो रही तराई
सड़क बनाते समय अर्थ वर्क और सीबीआर के समय मटेरियल डालकर पानी से तराई करनी है, फिर रोलर भी चलाना है। खैरागढ़ से सर्रागोंदी और इससे आगे भी अर्थ वर्क का काम करते समय ठेकेदार ने तराई नहीं की है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार मटेरियल में डस्ट का प्रयोग अधिक कर रहा है। फील्ड में आने वाले अफसर इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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ठेकेदार को ऐसी बनानी है प्रधानमंत्री की सड़क
0 बंधान के मिट्टी कार्य को टेक्निकल भाषा में अर्थवर्क कहते हैं, जिसमें 41576.812 घन मीटर यानी 2970 ट्रक के बराबर मिट्टी लगेगी। इसमें पानी डालकर रोलर से दबाना है।
0 दानेदार उपाधार जिसे तकनिकी तौर पर सीबीआर कहते हैं, इसमें 3886.839 घन मीटर यानी 278 ट्रक के बराबर मुरुम लगना है और इसे भी पानी डालकर रोलर से दबाना है।
0 गिट्टी की परत या डब्ल्यूबीएम और हरेक परत 15 सेमी मोटी रहेगी और प्रत्येक को अलग-अलग निर्मित करना होगा।
0 पहले सूखी गिट्टी रोलर से दबाई जाएगी। फिर पत्थर का चूरा या मुरुम डाली जाएगी। इसके बाद पानी डालकर रोलर से दबाई जाएगी।
0 इसके बाद डामरीकृत परत चढ़ाई जाएगी, जो 97035.13 किग्रा। टेक कोट इमलशन 246998.51 किग्रा पूर्व से मिश्रित बीएम 50 मिमी मोटाई में। कुल मिश्रण 3380.042 घन मीटर यानी 199 ट्रक के बराबर।
हर जगह डेढ़ फीट का नहीं मिलेगा गड्ढा
इस बारे में पीडब्ल्यूडी की एसडीओ रीतू खरे का कहना है कि सड़क बनाने के लिए किया गया गड्ढा हर जगह डेढ़ फीट का नहीं मिलेगा। इसमें वेरिएशन आता है। रोड के ऊपर से इसकी मोटाई 2.20 फीट मिलेगी। इसके हिसाब से हम लोगों को मेंटेन करना रहता है।