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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट को बिना स्किन-टू-स्किन के टच करना पाक्सो एक्ट के बाहर है। इस फैसले की नागरिक संगठनों ने आलोचना की और जानी-मानी हस्तियों ने इसे हास्यास्पद बताया था। बाद में यूथ बार ऐसासिएशन ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के िवरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
12 वर्ष की नाबालिग के साथ हुआ था अपराध
यह घटना 12 वर्षीय नाबालिग के साथ घटी थी और उसी के मुकदमे की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोई ने कहा था कि बच्ची को निर्वस्त्र किए बिना उसके ब्रेस्ट को छूना यौन हमला नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने फैसले में कहा कि ऐसी हरकतों को पॉक्सो एक्ट के दायरे में नहीं लाया जा सकता और इसे यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता। हालांकि ऐसे आरोपी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 354 के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
सिर्फ छूना यौन हमले की परिभाषा में नहीं…
इधर हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने फैसले में कहा कि सिर्फ छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता। न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को दिए अपने आदेश में कहा कि किसी हरकत को यौन हमला माने जाने के लिए ‘गंदी मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना’, जरूरी है। उन्होंने सेशन्स कोर्ट के फैसले में संशोधन किया जिसने 12 वर्षीय नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी।
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कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यौन हमले के मामले में शारीरिक संपर्क प्रत्यक्ष होना चाहिए या सीधा शारीरिक संपर्क होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘स्पष्ट रूप से अभियोजन की बात सही नहीं है कि आवेदक ने उसका टॉप हटाया और उसका ब्रेस्ट छुआ। इस तरह बिना संभोग के यौन मंशा से सीधा शारीरिक संपर्क नहीं हुआ।’