खैरागढ़ (Khairagarh) में निर्मल त्रिवेणी महाभियान के सदस्यों ने कोविड-19 सेंटर के मरीजों को दिवाली गिफ्ट के रूप में दिया ड्राय फ्रूट का इम्युनिटी बूस्टर।
खैरागढ़. कोरोना (Corona) काल में अमावस की रात बाजार गुलजार रहा। खरीदारी के लिए ग्रामीण ग्राहकों की भीड़ उमड़ी। दो-चार जगह बैरीगेट्स लगाकर पुलिस ने ट्रैफिक कंट्रोल करने की नाकामयाब कोशिशें कीं, लेकिन उनका भी बस नहीं चला। ऐसे त्योहारी सीजन में एक तरफ व्यापार की उम्मीद जगी, तो दूसरी तरफ संक्रमण की आशंका भी गहराई।
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इस बीच कुछ समाजसेवियों ने पंच पर्व को अपने ही अंदाज में जिया। जब लोग कपड़ा, मिठाई और पटाखों की खरीदारी में व्यस्त थे, तो एक धड़ा ऐसा भी था, जो कोविड-19 से संक्रमित लोगों की चिंता कर रहा था। वह सोच रहा था कि कैसे उनकी भी दिवाली नई रोशनी लेकर आए। ऐसा क्या किया जाए की उनके भीतर भी एक जीवनदीप जगमगाए।

फिर, जैसा कि पिछले 19 महीनों से होता आ रहा है, निर्मल त्रिवेणी महाभियान के सदस्यों ने एक और अनूठा काम किया। वे दिवाली पर पॉलिटेक्निक कॉलेज में बनाए गए कोविड-19 सेंटर में पहुंचे। अभियान की सदस्य मेहंदी और मुस्कान वर्मा ने रंगोली डाली। उसके आसपास दीये जलाए। इसके बाद बाकी के सदस्य वहां भर्ती 42 मरीजों के लिए गिफ्ट लेकर पहुंचे।
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गिफ्ट भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला। मखाना, मुनक्का और बादाम जैसे सूखे मेवे से भरे पैकेट। निर्मल त्रिवेणी महाभियान की टीम बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन से अनुमति लेकर निर्धारित स्थान पर पहुंचे, जहां से सभी मरीजों को दिवाली की शुभकामनाएं दीं और जल्द स्वस्थ होने की कामना भी की।

मंगल सारथी ने बताया कि दिवाली की रात कोविड सेंटर के मरीजों को जितनी खुशी हुई, उससे कहीं ज्यादा खुश महाभियान के सदस्य हुए। राजीव चंद्राकर का कहना है कि जैसे ही इस गिफ्ट का आइडिया आया, सभी सदस्यों ने अपनी अपनी सहयोग राशि डेस्क पर रख दी। सूरज देवांगन, विजय प्रताप सिंह और उत्तम दशरिया का कहना है कि मरीजों के चेहरों पर मुस्कान देखकर उनकी दिवाली सार्थक हो गई।
दिवाली की रात मुक्तिधाम में दीप जलाकर दी श्रद्धांजलि

इधर दिवाली की रात मुक्तिधाम भी जगमगाया। परिसर को गार्डन की तरह सजाने वालों ने दीप जलाए। धृतेंद्र सिंह व प्रयाग सिंह का कहना है कि मुक्तिधाम में दीप जलाकर उन्होंने पूर्वजों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। वैसे भी जिस जगह पर जाकर मुक्ति मिलती हो, उस स्थान को भरे त्योहार में उसे वीरान कैसे छोड़ देते। इसी एक सोच ने श्मशान में राेशनी बिखेर दी।
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