खैरागढ़िया On Line हैं… रागनीित के इस कार्यक्रम में दिल्ली में अपनी हुनर का लोहा मनवा रहे हिफजुल कबीर ने समझाई कला की गहराई…
रागनीति डेस्क. दोस्त उसे सोनू के नाम से ही पुकारते थे। वह कहते हैं कि मुझे तो 12वीं के बाद पता चला कि मेरा नाम शेख हिफजुल है। जब दिल्ली आया तो शेख हिफजुल से हिफजुल कबीर हो गया। खैरागढ़िया On Line हैं… कांग्रेस नेता ने जब उनके नाम के बदलाव की कहानी जाननी चाही, तब हिफजुल बोले- ‘दादा हाफिज अनवर ने रखा था नाम, हिफजुल कबीर! कहीं लोग कबीर दास न कहने लगें, इसलिए बदल दिया। तब कबीर की गाथा मालूम नहीं थी।’ कोरोना मरीज़ ने आईसोलेशन वार्ड में लगाई फाँसी, पुलिस जुटी जांच में
Facebook Live के दौरान रागनीति के कार्यकारी संपादक के सवालों का जवाब देने के साथ हिफजुल ने दोस्तों के कमेंट्स पर भी अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। बचपन के दाेस्त अब्दुल कादिर का चेहरा देखते ही बोले- ‘इसे यहां से भगा दो।’ फिर दोनों मुस्कुरा दिए।
तबरीबन एक घंटे के कार्यक्रम में हिफजुल ने खैरागढ़ से दिल्ली तक की लंबी कहानी सार में समझा दी। इस दौरान खैरागढ़ के लिए कुछ करने का जुनून उनकी बातों में साफ तौर पर झलक रहा था। उन्होंने निर्मल त्रिवेणी महाभियान की तारीफ की और अभियान से जुड़े सदस्यों के जस्बे को सलाम किया। कहा- वे ऐसा कुछ जरूर करेंगे कि खैरागढ़ में कला और संगीत को लेकर कुछ नया और बड़ा हो। Corona से खैरागढ़ को बचाने इंदौर से होम्योपैथी दवा भेजेंगे हमारे डॉ. अर्पित चोपड़ा, हरेक को मिलेगी दवा
हिफजुल ने नवरात्रि में नई शुरुआत के बैनर तले शुरू हुए रास गरबे के आयोजन को याद किया और कहा कि गरबे की नींव रखने में छोटी ही सही लेकिन उनकी भी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि आज जो परिस्थितियां निर्मित हुई हैं, उसमें हरेक को अपनी जिम्मेदारी लेकर काम करना जरूरी है।
अपने काम के बारे में बताते हुए हिफजुल ने कहा कि वह अपने आसपास से ही विषय चुनते हैं। पौराणिक कथाओं के कैरेक्टर कैनवास पर उतारते हैं। जैसे शुरुआत में नोवल कोरोना के बारे में सुनते ही उन्हें राक्षस रक्त बीज की याद आई, जिसके खून की हर बूंद से एक नया रक्त बीज जन्म ले लेता था।
चाकू से निकाली कबीर की तीखी जुबान
हिफजुल ने बताया कि कबीर मुस्लिम परिवार से थे, लेकिन उनके गुरू थे पंडित, जिनसे उन्हें शिक्षा मिली थी। उस समय मुस्लिम शासक हुआ करते थे। तब लोगों को सही रास्ता दिखाने का काम था, कबीर का। उनके कटाक्ष को समझते हुए कैनवास पर यह पेंटिंग बनाई गई है।
दो जुबानों को उलझाकर दिखाई टीवी डिबेट
हिफजुल ने एक पेंटिंग ऐसी भी दिखाई, जिसमें दो लोगों की जुबान आपस में उलझी हुई थी। बताया कि यह टीवी पर चलने वाली वही डिबेट है, जिस पर बहस तो खूब होती है, लेकिन इसका परिणाम कुछ भी नहीं िनकलता। न जाने कौन लोग, कहां से आकर सेिलब्रिटी बन जाते हैं।
दो उल्लू पान की दुकान में खड़े होकर सरकार गिरा देते हैं…
कैनवास पर एक उल्लू की शक्ल का आदमी, हाथ में बैठै उल्लू (पक्षी) से बातें कर रहा है। हिफजुल ने पेंटिंग छिपे कटाक्ष को बताया कि ये वे हैं, जिन्हें जानकारी नहीं होती, लेकिन पान की दुकान में खड़े होकर सरकार गिरा देते हैं।
इस वीडियो में हिफजुल की बातें सुनें और जानें क्या कह रहा है मस्तमौला कलाकार...