विशेष :
-किसानों आत्मनिर्भर बनाने संसाधनों को पर्याप्त दोहन आवश्यक : चुन्नीलाल
-अकाल और पलायन के खिलाफ जरूरी है नदी-नालों के पानी को खेतों तक पहुंचाना।
- सिंचाई की सुविधाओं में विस्तार करने के लिए केंद्र सरकार का गंभीर होना आवश्यक।
नई दिल्ली| सांसद चुन्नीलाल साहू ने महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के तीनों जिलों में द्विफसलीय विस्तार योजना लागू करने का प्रस्ताव दिया है। संसद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान सांसद ने बताया कि लोकसभा क्षेत्र का अधिकांश भू-भाग असिंचित कृषि की श्रेणी में आता है। अस्सी फीसदी किसान एक फसलीय (खरीफ की) खेती करते हैं। क्षेत्र में सिंचाई के पर्याप्त संसाधन नदी-नालों के रूप में मौजूद हैं, लेकिन उनमें बह रहे बरसाती पानी को भी खेतों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। भगवान भरोसे खेती के कारण क्षेत्र के किसान अक्सर सूखा और पनिया अकाल की चपेट में आते हैं। किसानों को लागत के अनुरूप खरीफ की फसल में उत्पादन नहीं मिल पा रहा है।
सांसद साहू ने सदन को बताया कि संसदीय क्षेत्र के महासमुंद, गरियाबंद और धमतरी जिले में किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने की दिशा में मजबूत कार्ययोजना की आवश्यकता है। किसान संपन्न होंगे तो खेती आधारित मजदूरी करने वाले परिवारों को भी गांव में ही रोजगार के पर्याप्त अवसर प्राप्त होंगे। काम की तलाश में दूसरे प्रदेश जाने वाले मजदूर परिवारों को भी भटकने की जरूरत नहीं होगी।
साहू ने पूर्वी भारत के लिए चलाए जा रहे द्विफसलीय विस्तार योजना को छत्तीसगढ़ में भगौलिक आधार पर कारगर बताते हुए कहा कि इससे किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार का प्रयास सफल होगा।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसान और किसानी भगवान भरोसे हो गई है। किसान बिना कर्ज के एक एकड़ की जमीन में खेती नहीं कर पा रहा है। पहले किसान एक-दूसरे की मदद से खेती किया करते थे, लेकिन अब खुद की खेती के लिए उन्होंने दो-चार होना पड़ रहा है। किसान कर्ज और कर्जमाफी की सियासी भंवर में उलझ जा रहे हैं। किसानों को कर्जमुक्त खेती से जोड़ने के लिए आवश्यक है कि केंद्र सरकार की महती द्विफसलीय विस्तार योजना में शामिल किया जाए।