खैरागढ़. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते 11 वर्षों में सेवा, सुशासन और राष्ट्र सुरक्षा को प्राथमिकता बनाकर ‘विकसित भारत’ की नींव रखी है। इन वर्षों में भारत ने वैश्विक मंच पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई—चाहे वह चंद्रयान-3 की सफलता हो, 34 गुना बढ़ा रक्षा निर्यात, या 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाने का दावा। डिजिटल लेनदेन, भ्रष्टाचार पर लगाम, किसानों को सशक्तिकरण, महिला आरक्षण और पूर्वोत्तर के विकास जैसे क्षेत्रों में भी सरकार ने उल्लेखनीय काम किए हैं।
इन्हीं उपलब्धियों को लेकर गुरुवार को प्रदेश के खाद्य मंत्री दयालदास बघेल खैरागढ़ पहुंचे थे। लेकिन जब पत्रकारों ने केंद्र की योजना में हुए फर्जीवाड़ा को लेकर स्थानीय स्तर पर उनसे सीधे और तीखे सवाल पूछे गए, जिन पर मंत्री जी जवाब देने में झिझकते नजर आए।
सवालों में घिरे मंत्री, जवाब टालते रहे
1. सचिव संघ की शिकायत पर कार्रवाई नहीं
प्रश्न: 28 मई को सचिव संघ ने शिकायत की थी कि जनपद की लॉगिन आईडी-पासवर्ड CSC सेंटर व राशन दुकानदारों तक पहुंच चुकी है, जिससे फर्जी राशन कार्ड बन रहे हैं। कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
उत्तर: "ऐसी कोई शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई करेंगे, आप लिखित में दे दीजिए," – मंत्री बघेल।
2. मनरेगा और स्वच्छ भारत कर्मियों को 4 माह से वेतन नहीं
प्रश्न: क्या यही ‘अमृत काल’ है जहां संविदा कर्मचारी वेतन के लिए तरस रहे हैं?
उत्तर: मंत्री मौन रहे, जिला पंचायत उपाध्यक्ष और भाजपा नेता विक्रांत सिंह ने कहा – "नवगठित जिला होने के कारण कोडिंग में देरी है, भुगतान जल्द होगा।"
3. पंचायत एजेंसी को दरकिनार कर सीधे वेंडर को भुगतान
प्रश्न: जनपद छुईखदान में पंचायत में एजेंसी को छोड़ सीधे वेंडर को भुगतान करना नियमों के खिलाफ है, फिर ऐसा क्यों हुआ?
उत्तर: "अगर गलती हुई है तो जानकारी दें, कलेक्टर को कहूंगा।" – मंत्री बघेल
4. गर्म भोजन योजना में गड़बड़ी पर चुप्पी
प्रश्न: योजना में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
उत्तर: "कोई भी फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, शिकायत दीजिए, कार्रवाई करेंगे।"
जनता बोली – सिर्फ वादे, जिम्मेदारी नहीं
मंत्री बघेल के इस जवाबी रुख पर स्थानीय लोगों और विपक्षी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि जब शिकायतें पहले से सार्वजनिक हो चुकी हैं, तो "अब शिकायत दो" कहकर टालना क्या 'अमृत काल' की पारदर्शिता है?
विपक्ष का सवाल – "क्या यही है अमृत काल?"
स्थानीय जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सवाल है कि जब शिकायतें सार्वजनिक मंच पर और अखबारों के माध्यम से सामने आ चुकी हैं, तो जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? क्या यही अमृत काल की पारदर्शिता है?