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छुईखदान जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगीं: अधिकारियों और ऑपरेटरों की सांठगांठ से 23 फर्जी भुगतान  Featured

 

खैरागढ़. जनपद पंचायत छुईखदान में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में जनपद के कुछ चुने हुए अधिकारियों ने नियमानुसार पंचायत को एजेंसी मानकर कार्य कराने की प्रक्रिया को दरकिनार कर सीधा वेंडरों को भुगतान कर दिया। इस कृत्य से पंचायत की भूमिका को न केवल कमजोर किया गया, बल्कि जनपद अधिकारियों ने आपसी सांठगांठ कर लाखों रुपये का फर्जी भुगतान भी कर डाला।

 

नियम के अनुसार, किसी भी कार्य की स्वीकृति के पश्चात जनपद पंचायत को पंचायत के खाते में राशि स्थानांतरित करनी होती है, जिससे पंचायत अपने स्तर पर भुगतान कर सके। मगर छुईखदान जनपद के अधिकारियों ने पंचायतों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से सीधा भुगतान अपने पसंदीदा वेंडरों को कर दिया। सूत्रों के अनुसार, यह भुगतान कार्य हुए बिना ही किया गया है।

 

सचिव के पर्सनल अकाउंट में पैसा ट्रांसफर

12 दिसंबर 2024 को 15वें वित्त आयोग की राशि का भुगतान भोथली पंचायत के सचिव के व्यक्तिगत खाते में दो किस्तों में—₹46,000 और ₹42,500—कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि सचिव वेंडर नहीं हो सकते, बावजूद इसके उन्हें भुगतान हुआ, जो स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।

 

इसिका इंटरप्राइजेज को सीधा भुगतान

19 नवंबर को सिलपट्टी पंचायत में नाली निर्माण कार्य हेतु इसिका इंटरप्राइजेज को सीधा भुगतान किया गया, जबकि नियमानुसार यह राशि पंचायत के खाते में जानी चाहिए थी। सिलपट्टी के पूर्व सरपंच परसराम जघेल ने इसिका इंटरप्राइजेज को पहचानने से इनकार किया है और पंचायत में उनके द्वारा कोई काम नहीं कराया गया है। इसके बावजूद जनपद अधिकारियों द्वारा लाखों रुपये का भुगतान सीधे इस वेंडर को कर दिया गया।

 

सीसी रोड और चेयर खरीदी में भी फर्जीवाड़ा

20 नवंबर को एक अन्य वेंडर "अकाउंटिंग सेल्यूशन " को सीधा भुगतान कर पंचायत की भूमिका को नजरअंदाज किया गया। 14 मार्च 2024 को इसी वेंडर को चिलगुडा पंचायत में RCC चेयर खरीदी के लिए ₹2 लाख का भुगतान सीधे जनपद स्तर से कर दिया गया।

 

ऑपरेटर ही बन गए वेंडर

भ्रष्टाचार की हद तब पार हुई जब जनपद में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर खुद वेंडर बनकर भुगतान प्राप्त करने लगे। नादिया पंचायत के एक कार्य की अंतिम किस्त—₹1.20 लाख—जनपद ऑपरेटर सतीश जागड़े ने स्वयं वेंडर बनकर निकाल लिए। इसके अलावा उनके खाते में अलग-अलग पंचायतों से ₹1,73,092 की राशि ट्रांसफर की गई।

दूसरे ऑपरेटर दीपक के खाते में पाइपलाइन विस्तार कार्य के नाम पर ₹55,000, सुदामा साहू और कलेश्वर सेन के खातों में भी पंचायतों से राशि ट्रांसफर की गई है।

 

पंचायत प्रतिनिधियों के खातों में भी सीधा भुगतान

खुड़मुड़ी पंचायत में सीसी रोड निर्माण के लिए सरपंच पति मनोज कंवर के खाते में ₹72,000, भुरभुसी पंचायत में बोर खनन के लिए अजय साहू को ₹80,600, बागुर पंचायत में सीसी रोड निर्माण हेतु भुवन रजक को ₹68,700, आमगांव-बिडौरी पंचायत में बोर खनन के लिए साहू मोटर पंप इलेक्ट्रिकल को ₹1.40 लाख को सीधा भुगतान किया गया है।

 

 

यह सीधे आपराधिक मामला

वित्तीय मामलों के जानकारों का मानना है कि यह पूरा प्रकरण जनपद अधिकारियों द्वारा सुनियोजित आर्थिक अपराध का उदाहरण है। जब तक पंचायत के खाते में राशि ट्रांसफर नहीं होती, सचिव द्वारा कैश बुक में एंट्री ही नहीं की जा सकती। ऐसे में सीधे भुगतान किया जाना पूरी तरह से फर्जीवाड़ा है।

 

सीईओ और लेखापाल की भूमिका संदिग्ध

जनपद पंचायत में किसी भी बिल का भुगतान बिना सीईओ और लेखापाल के हस्ताक्षर के संभव नहीं है। ऐसे में बड़े पैमाने पर हुए फर्जी भुगतान ने इन दोनों पदों पर कार्यरत अधिकारियों की भूमिका को संदेह के घेरे में ला दिया है। आखिर कैसे इतनी बड़ी राशि का भुगतान बिना उनके अनुमोदन के हो गया?

 

जनपद पंचायत छुईखदान के सीईओ रवि कुमार ने मामले की पूरी जानकारी लिए बिना ही प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पहले नियमों को समझिए, फिर सवाल पूछिए। 15वें वित्त आयोग की राशि से संबंधित भुगतान की जानकारी पंचायत से ही मिलेगी। इस राशि से मेरा कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि यह पंचायत के खाते से ही ट्रांसफर होती है।”

जबकि वास्तविकता यह है कि जनपद के खाते से सीधे वेंडर को भुगतान किया गया है।

 

 

 

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