Chattisgarh के आदिवासी बाहुल क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों के बच्चे नए सत्र से स्थानीय बोलियों में अब पढ़ाई करेंगे। प्राइमरी स्कूलों के लिए अब गोंडी, हल्बी और माड़िया में पढ़ाई के लिए पहली से पांचवीं कक्षा तक द्विभाषी किताबें छापी जाएंगी।
कहां, कौन भाषा, बोली जाती है, यह जानने के लिए स्कूलों में लैंग्वेज मैपिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विभाग ने कलेक्टरों को पत्र जारी कर पुस्तक का अनुवाद स्थानीय भाषा हल्बी, गोड़ी या माड़िया शब्दों में कराने को कहा गया है। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने बताया कि 15 फरवरी तक ऐसे स्कूलों का चिन्हांकन भी किया जाएगा, जहाँ विभिन्न तरह के बोली वाले बच्चे पढ़ रहे हैं।
विद्यालय में क्षेत्रीय बोली जानने वाले आदिवासी बहुल के लोगों को भी पढ़ाने का मौका मिलेगा। इन लोगों की मदद से शिक्षकों को उन्नत किया जाएगा।