बंकिम दृष्टि/जितेंद्र शर्मा✍️
कोरोना का भूत और महंगाई की मार :
कोरोना वायरस के भय से समूचे विश्व में कोहराम मचा हुआ है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया है। भारत में तो स्थिति यह है कि लोग इस बीमारी से ज्यादा इसके भूत के भय से घबराए हुए हैं। मामूली छींक, खांसी के बाद लोग अस्पताल पहुंचने लगे हैं। मास्क की बिक्री बढ़ गई है। कालाबाजारी भी होने लगी है। लोग सोसल मीडिया में ज्ञान बांटने लगे हैं। ऐसे ही एक ज्ञानी के उपचार ज्ञान बांटने से ईरान में 44 लोगों की मौत हो गई। जबकि वहां कोरोना से मरने वालों की संख्या महज 54 है। खैर कहावत है न कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसका भी है। दूसरा पहलू है कालाबजारी, महंगाई और भ्रष्टाचार। सरकार के लिए तो इस वायरस ने संजीवनी का काम किया है। सरकारों ने जनता को कोरोना से बचाने बड़े पैमाने पर बंदोबस्त शुरू कर दिए हैं। देश के करोड़ों रुपए इसमें स्वाहा कर दिए जाने की तैयारी है। सैकड़ों मालामाल हो जाएंगे। इससे कुछ तो रिलीफ मिलेगा। जनता को नहीं सरकारों को। कुछ समय के लिए ही सही जनता बेरोजगारी, दंगों में हुए नुकसान, महंगाई, मूलभूत सुविधाओं की कमी जैसी विकास विरोधी समस्याओं को भूल जो जाएगी। साथ ही इसकी आड़ में जो ये समस्याएं जो बढ़ जाएंगी, उसमें कुछ फीसदी की गिरावट बताकर सरकारें जनता पर एहसान करेंगीं और बताएंगी कि देखों उन्हें देश की जनता का कितना ख्याल है। बहरहाल कोरोना के भय से 20 रुपए में मिलने वाले मास्क को लोग 200 रुपए में खरीदकर भी लगा रहे हैं, लेकिन इससे कई गुना ज्यादा मौतें सडक़ दुर्घटनाओं में हर साल होती हैं, लेकिन वाजिब दाम पर भी लोग हेलमेट खरीदकर लगाना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। है न गजब मेरा देश और यहां के वाशिंदे।