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सावधान! दाढ़ी में तिनका बताया तो खैर नहीं Featured

By March 07, 2020 780 0

तीसमारखाहों, अब सावधान हो जाओ। आपके लिए फरमान जारी हो गया है। आपको अब गांधी जी के तीन बंदरों के आदर्श वाक्यों का कड़ाई से पालन करना जरूरी है, अन्यथा आपके साथ जो होगा उसके लिए आप स्वत: जिम्मेदार होंगे। आपको न तो बुरा देखना है, न बुरा सुनना है और बुरा बोलना है। और यदि ये करते हो तो जाहिर है लिख तो सकोगे ही नहीं। अब सवाल यह उठता है कि बुरा क्या है, तो हम बताए देते हैं। बुरा वह जो दरबार को लगे। मतलब यह कि आपको शांति से जीवन यापन करना है तो आपको दरबारी राग अलापना ही होगा। नहीं तो आप समझ लो। फिरभी कुछ तंग दिमाग लोग सवाल कर रहे हैं, तर्क दे रहे हैं कि आप बुराई या झूठ को कैसे पहचानोगे। ये भी कहने से नहीं चुकते कि कई बार न्यायालय में भी सबूत के अभाव में झूठ की जीत हो जाती है, तो क्या हमें सच कहने का बिल्कुल भी अधिकार नहीं है। संविधान में भी तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात लिखी है। अब एक सवाल यह भी उठता है कि सबूत बनाने और बिगाडऩे का काम कौन करता है? जवाब तो आप जान की गए होंगे। अब एक कामरेड टाइप के तंग दिमागी ने सवाल कर दिया कि मतलब कि आप कुछ भी क्यों न करें, हम उंगली तक नहीं उठा सकते, तो भाई साहब मजबूत विपक्ष नहीं बनाने वाले भी तो आप ही हैं।

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Last modified on Thursday, 12 March 2020 16:09

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