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पानी का टैक्स खाया, लक्जरी कारों में घूमे और बजट भी बनाया काल्पनिक

ऑडिट से खुलासा/ सीएमओ ने पात्रता से ज्यादा लिया भत्ता, मिलीभगत का खेल। संबंधितों को नोटिस देकर राशि वसूलने की बजाय जिम्मेदारों ने दस माह से दबा रखी है 2013-14 की ऑडिट रिपोर्ट।

नियाव@ खैरागढ़

देखिए कैसे टैक्स का बंदरबांट चल रहा है। जल कर के 34 हजार 114 रुपए वसूल कर खा गए। रसीद भी नहीं दी। संपत्ति कर के 41 हजार 290 रुपए जमा नहीं कराए। कर्मचारियों ने बिना अनुमति लक्जरी कारों पर 49 हजार 631 रुपए खर्च किए। और तो और जनता को धोखा देने के लिए काल्पनिक बजट भी बनाया। ये खुलासा हुआ है 2013-14 के ऑडिट रिपोर्ट से।

रिपोर्ट के अनुसार संचयनिधि में नियमित जमा का अभाव है। भास्कर के पास इसकी कॉपी मौजूद है, जिसमें ऑडिटर ने हरेक राशि का उल्लेख कर प्रभक्षण शब्द का इस्तेमाल किया है। यानी जिम्मेदारों ने राशि पहले ही हजम कर ली। स्थानीय निधि संपरीक्षा के उपसंचालक ने 29 नवंबर 2017 को यह रिपोर्ट भेजकर चार माह के भीतर इसका निराकरण करने कहा था। आज दस माह बीत चुके हैं, लेकिन राशि वसूलने नोटिस तक जारी नहीं की गई। और करे भी क्यों? जिन पर ये जिम्मेदारी है उन्होंने खुद पात्रता से अधिक यात्रा भत्ता निकाला है। सीएमओ पीएस सोम काे भी 33 हजार 210 रुपए जमा करना है। इस घालमेल को लेकर न तो पीआईसी में आवाज उठी और न ही जनप्रतिनिधियों ने हल्ला मचाया।

 पालिका की टीम ने ऐसे बनाया काल्पनिक बजट

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 2012-13 में अनुमानित आय 26 करोड़ 92 लाख 35 हजार और व्यय 26 करोड़ 72 लाख रुपए बताया गया। जबकि वास्तविक आय 15 करोड़ 85 लाख 92 हजार 433 और व्यय 12 करोड़ 9 लाख 21 हजार 662 है। आंकड़ों में अत्यधिक अंतर से इसे काल्पनिक बजट करार दिया गया और हिदायत दी गई है कि भविष्य में बजट नियमों का पालन करें।

अग्रिम राशि निकाली पर समायोजन नहीं किया

सहायक राजस्व निरीक्षक राजेश तिवारी ने पांच बार में एक लाख 14 हजार रुपए निकाले। हाईकोर्ट में पैरवी के लिए ही 75 हजार निकाले गए। दीपक दुबे ने दशहरा उत्सव के लिए 50 हजार रुपए निकाले थे। इसी तरह होमलाल नाग ने फतेह मैदान में क्रिकेट मैच कराने एक लाख रुपए अग्रिम राशि ली।

निर्धारित मूल्य के स्टांप पर नहीं कराया अनुबंध

वर्ष 2013-14 में निर्धारित मूल्य के स्टांप पेपर में ठेके का अनुबंध न कराए जाने से 52 हजार 700 रुपए शासकीय राजस्व की क्षति बताई गई है। इसी तरह पट्टा विलेखों का पंजीयन भी जरूरी है, लेकिन अब तक तकरीबन 173 दुकानों के एग्रीमेंट का पंजीयन नहीं कराया गया है।

इससे पहले की 716 आपत्तियां भी पेंडिंग

रिपोर्ट में यह बात भी बताई गई है कि 2012-13 के संपरीक्षा प्रतिवेदन में 716 आपत्तियां पाई गई थीं, लेकिन उनका भी निराकरण नहीं किया गया। वह भी पेंडिंग है। वर्ष 2008-09 से 2010-11 तक करोड़ों रुपए का घालमेल हुआ, लेकिन कार्रवाई एक पर भी नहीं हुई।

इन तीन बड़ी वजहों से पालिका में न काम हो रहा और न कार्रवाई

ढीले पड़े जनप्रतिनिधि: कमीशनखोरी हावी है। पार्षद खुद ठेकेदारी कर रहे। आवाज बुलंद करने वाला कोई नहीं। पीआईसी और परिषद की बैठक में विषय रखने के लिए भी चक्कर काटने पड़ रहे। जनहित के मुद्दों पर चर्चा ही नहीं हो रही।

कमजोर हैं अफसर: सीएमओ की कोई नहीं सुनता। सब इंजीनियर के चेंबर में कही गई बातें ठेकेदारों तक पहुंच जाती हैं। तभी तो सड़क, सौंदर्यीकरण, शौचालय आदि की जांच नहीं हो रही। निर्माण कार्यों के वर्क ऑर्डर जारी नहीं किए जा रहे।

कर्मचारियों की नेतागिरी: ऊपर के जिम्मेदारों का रवैया कुछ कर्मचारी भांप चुके हैं। वे काम नहीं करते, नेतागिरी करते हैं। इसलिए उच्चाधिकारियों के निर्देशों को भी नजरअंदाज किया जा रहा।

जानिए क्या कह रहे हैं जिम्मेदार

परिषद में रखेंगे

यह मामला मेरे संज्ञान में है। इस विषय को परिषद में रखा जाएगा। इसके बारे में पूछेंगे और नियुमानुसार कार्रवाई के लिए कहेंगे।

मीरा चोपड़ा, अध्यक्ष, नगर पालिका

 

वेतन से काटेंगे

मैंने लेखापाल से कहा था कि सभी कर्मचारियों को नोटिस जारी करे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया। अब उनके वेतन से राशि काटी जाएगी।

पीएस सोम, सीएमओ

 

मामला पुराना है। नोटिस तो बहुत पहले जारी हो जाना चाहिए था। फिलहाल सभी का अलग-अलग हिसाब निकाल रहा हूं। फिर नोटिस एक-दो दिन में नोटिस जारी करुंगा।

कुलदीप झा, लेखापाल

 

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Last modified on Thursday, 09 January 2020 12:16

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