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पार्षद शेष नारायण यादव बोले- दस सालों में दो बार बिछाई जा चुकी है पाइप लाइन, उसी के ऊपर किया जा रहा अनावश्यक विस्तार।
खैरागढ़. सोमवार को हुए नगर पालिका परिषद की बैठक में सांसद प्रतिनिधि राकेश गुप्ता ने 32 करोड़ की जल आवर्धन योजना को लेकर अकेले आवाज उठाई थी। तब किसी के मुंह से आवाज नहीं निकली। दूसरे दिन मंगलवार को गोकुल नगर वार्ड के पार्षद शेष नारायण यादव ने इस पूरे मामले में नया खुलासा किया। उनका कहना है कि नगर के भीतर बिछाई जा रही पाइप लाइन की आवश्यकता ही नहीं थी। Also read: पार्षद शेष ने पूछा- विक्रांत के कार्यकाल में क्यों चुप रहे मनराखन?
उनका कहना है कि पिछले दस सालों में नगर के भीतर दो बार पाइप लाइन का विस्तार हुआ। तत्कालीन अध्यक्ष विक्रांत ङ्क्षसह के कार्यकाल में छुईखदान के रानी रश्मिदेवी जलाशय (छिंदारी बांध) से अंडरग्राउंड पाइप लाइन लाकर जल शोधन संयंत्र की स्थापना की प्लानिंग हुई थी। शेष का आरोप है कि कांग्रेस के कार्यकाल में पूरा प्राकलन ही बदल दिया गया। अब नगर के भीतर अनावश्यक विस्तार किया जा रहा है, जबकि इसकी जरूरत ही नहीं थी। पूरी योजना धरातल पर धराशाई हो गई। Also read: पार्षद शेष ने पूछा- विक्रांत के कार्यकाल में क्यों चुप रहे मनराखन?
परिषद में उठाना भूल गए रेत-मुरुम का मामला
इससे पहले उपाध्यक्ष रामाधार रजक सहित भाजपा के पार्षदों ने बिछाई जा रही पाइप लाइन में भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। सचिव को पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि पाइप लाइन में रेत-मुरुम का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है, इसके बावजूद लाखों रुपए का भुगतान ठेकेदार को किया गया है। एमबी रिकॉर्ड में स्थान का नाम नहीं है। लेकिन परिषद में मामला उठाने के बावजूद सांसद प्रतिनिधि गुप्ता का साथ किसी ने नहीं दिया। शेष का कहना है कि वह अपने वार्ड की समस्याओं को लेकर उलझे रहे। Also read: पार्षद शेष ने पूछा- विक्रांत के कार्यकाल में क्यों चुप रहे मनराखन?
जीआई को डीआई पाइप से जोडऩा कठिन
इस संबंध सब इंजीनियर किशोर ठाकुर का कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार 2014 में पाइप लाइन का विस्तार किया गया था। तब जीआई पाइप बिछाया गया था, अभी डीआई पाइप बिछ रहा है। जीआई पाइप को डीआई में तकनिकी रूप से जोड़ा नहीं जा सकता। ठाकुर का कहना है कि पहले बांध से पानी दिया जाना था, अब नहर से दे रहे हैं तो लंबाई कम हो गई है। केवल इतना ही संशोधन हुआ है। Also read: पार्षद शेष ने पूछा- विक्रांत के कार्यकाल में क्यों चुप रहे मनराखन?
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