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Exclusive: मंडल अध्यक्ष ने ठगी के रुपयों से खरीदी जमीन, भाई के नाम की रजिस्ट्री, रायपुर के  Magnato Mall में भी बुक कराया था Complex Featured

जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने मंडल अध्यक्ष के पक्ष में ली पत्रकार वार्ता और पुलिस पर लगाया बिना जांच किए कार्रवाई का आरोप

खैरागढ़. चिट फंड कंपनी बनाकर लोगों से लाखों रुपए ऐंठने के मामले ने नया खुलासा हुआ है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने निवेशकों की गाढ़ी कमाई से खैरागढ़ में दो और नवागांव में सात एकड़ जमीन कराई। फिर राशि हजम करने की नीयत से मंडल अध्यक्ष कमलेश कोठले ने इसे अपने भाई त्रिलोक और कुछ करीबी लोगों के नाम रजिस्ट्री करा दी। ठगी के पैसों से ही रायपुर के  Magnato Mall में Complex भी बुक कराया गया था, लेकिन बाद में सौदा रद्द हो गया।

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थाना प्रभारी लोमेश सोनवानी ने बताया कि कमलेश कोठले, राजकुमार और तरुण साहू ने मिलकर लोगों से राशि जमा करवाई। जब लाखों रुपए  एकत्र हुए तो पूरी प्लानिंग के साथ इन्हीं पैसों से जमीन की खरीदी की गई। इसके बाद गबन की नीयत से जमीन की रजिस्ट्री करीबियों के नाम कराई गई ताकि लोगों का पैसा न लौटाना पड़े। सोनवानी का कहना है कि कंपनी रजिस्ट्रार के दस्तावेजों में कमलेश अभी भी बोर्ड और डायरेक्टर्स में शामिल है। कहीं पर भी उसके इस्तीफे का उल्लेख नहीं है। और यदि उसने इस्तीफा दिया भी तो रजिस्ट्रार को देना चाहिए था, मालिक को नहीं।



विक्रांत का आरोप: राजनीति से प्रेरित है पुलिस की कार्रवाई


इधर जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने मंडल अध्यक्ष के पक्ष में पत्रकार वार्ता ली और पुलिस पर बिना जांच किए कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। विक्रांत का कहना है कि कमलेश का ट्रैक रिकॉर्ड साफ सुथरा है। वह एक पार्षद है। नेता प्रतिपक्ष है। सभापति भी रहा है। वह तो खुद एक एजेंट की तरह काम कर रहा था। निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए उसने ही कंपनी पर दबाव बनाया। पुलिस की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। पार्टी की छवि धूमिल करने के लिए मंडल अध्यक्ष को निशाना बनाया गया है। विक्रांत ने कहा कि फर्जी चिटफंड कंपनी पर कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन दोषियों पर कार्रवाई की आड़ में राजनीतिक द्वेष साधे जाने का विरोध किया जाएगा। कमलेश पूरी तरह निर्दोष है।



जानिए पुलिसिया कार्रवाई के तथ्य और विक्रांत के जवाब

पुलिस: ग्वालियर व रायपुर में कंपनी रजिस्ट्रार के दस्तावेजों में कमलेश का नाम बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल है, मतलब कमलेश कंपनी का सदस्य है।


विक्रांत: फर्जी दस्तखत के आधार पर कंपनी के मालिक तरुण साहू ने कमलेश को बोर्ड में शामिल किया था। राजिस्ट्रेशन के समय बोर्ड में 12 लोग थे, फिर कार्रवाई सिर्फ 7 पर ही क्यों हुई? तरुण साहू के मालिकाना हक से संबंधित शपथ पत्र भी पेश किया, जिसमें उसने खुद स्वीकार किया है कि कंपनी में वह अकेला मालिक है, बाकि सभी एजेंट की भूमिका में हैं।

पुलिस: कमलेश ने निवेशकों के पैसे से खरीदी ज़मीन अपने भाई त्रिलोक कोठले व करीबियों के नाम पैसा हज़म करने की नीयत से की।


विक्रांत: त्रिलोक खुद भी एक निवेशक था, उसके भी दो लाख रुपए लगे थे। कमलेश ने पॉवर ऑफ अटार्नी लेकर निवेशकों के नाम जमीन रजिस्टर कराई, जिसमें त्रिलोक कोठले, हीरा कोसरे और भगवती कोसरे के नाम भी शामिल है।

 

पूरी वीडियो देखिए क्या कहा है विक्रांत ने

 


जानिए क्या है पूरा मामला


सर्वोदय मल्टीट्रेड लिमिटेड कंपनी के अधीन माइक्रो इन्वेस्टमेंट बनाकर सात लोगों खैरागढ़ इलाके तकरीबन 150 लोगों से लाखों रुपए ऐंठे। खिलावन चंद्राकर और रामप्रसाद पटेल के आवेदन पर जांच के बाद पुलिस ने कमलेश कोठले सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। फिलहाल मास्टर माइंड तरुण साहू सहित अन्य तीन की तलाश जारी है। पुलिस ने बताया कि अब तक 35 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया है, राशि बढ़ सकती है। 

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Last modified on Monday, 06 July 2020 20:27

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