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- झीरम के मामले में मुख्यमंत्री पर साक्ष्य छिपाने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए : भाजपा
- झीरम घाटी कांड को लेकर कांग्रेस के राजनीतिक प्रलाप पर भाजपा प्रवक्ता उपासने का तीखा हमला
- कांग्रेस मुख्यमंत्री की याददाश्त दुरुस्त करे ताकि वे उस कुरते या जैकेट को ढूंढ़ लें जिसकी जेब में सबूत लिए फिरते थे
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने झीरम घाटी कांड को लेकर कांग्रेस के राजनीतिक प्रलाप पर तीखा हमला बोलते हुए सवाल उठाया है कि क्यों न झीरम के मामले में जेब में सबूत लिए घूमने की बात कहने और सालों बीत जाने के बाद भी अब तक सबूत पेश नहीं करने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर साक्ष्य छिपाने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए?
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प्रवक्ता उपासने ने कहा कि हर बात के लिए भाजपा के सिर पर अपनी नाकामियों का ठीकरा फोड़ने पर आमादा रहने वाले कांग्रेस के नेता कभी अपने मुख्यमंत्री पर भी तो यह दबाव बनाएँ कि वे सबूत पेश करके झीरम की जाँच को अंजाम तक पहुँचने में सहयोग करें।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता उपासने ने कटाक्ष किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झीरम पर किए गए वादे की याद दिलाने के बजाय कांग्रेस के नेता पहले मुख्यमंत्री बघेल की याददाश्त को दुरुस्त करें ताकि वे उस कुरते या जैकेट को ढूंढ़ लें जिसकी जेब में बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वे झीरम कांड के सबूत लिए फिरते थे और सत्ता में आने के 18 माह बाद भी उन्हें अब उन सबूतों को पेश करना याद नहीं रह गया है।
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प्रवक्ता उपासने ने कहा कि दरअसल प्रदेश सरकार ही झीरम की जाँच को बाधित करने पर आमादा रही है। कभी उसे कोर्ट की जाँच पर एतराज होता है तो कभी वह एनआईए की जाँच प्रक्रिया से बचने की कोशिश करती है। इससे यह तो साफ होता है कि कांग्रेस और प्रदेश सरकार को झीरम मामले की जाँच और शहीदों के परिजनों को न्याय दिलाने से कोई सरोकार नहीं है, बस इस मुद्दे पर प्रलाप कर शहीद नेताओं के परिजनों के आँसुओं पर अपनी सियासत की नाव खेना ही उनका एजेंडा रह गया है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता उपासने ने कहा कि झीरम कांड की जाँच और उसमें शहीद हुए नेताओं को सम्मान व उनके परिजनों को न्याय दिलाना प्रदेश सरकार का एजेंडा होता तो 18 माह से सत्ता में बैठे मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर ओछी राजनीति से बाज आकर जाँच में सहयोग करते और उनके पास जो भी तथ्य और साक्ष्य हैं, वे पेश करते। कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री बघेल को यह भी याद दिलाएँ कि साक्ष्य छिपाना भी दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
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उपासने ने कहा कि झीरम कांड के समय केंद्र में कांग्रेस की गठबंधन सरकार थी और अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, फिर भी मुख्यमंत्री बघेल इस मामले की जाँच को अंजाम तक नहीं ले जा सके तो फिर इससे किसका नाकारापन सिद्ध होता है? यह प्रदेश सरकार के इस राजनीतिक चरित्र का यह कोई एक अकेला मामला नहीं है। प्रदेश के एक मंत्री डॉ. शिव डहरिया की माताजी की हत्या के मामले में भी सरकार चुप्पी साधे बैठी है! इस मामले की सीबीआई जाँच की मांग हुई थी पर प्रदेश सरकार अपने ही नेताओं को न्याय दिलाने की इच्छाशक्ति से शून्य नज़र आ रही है।
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