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दरिंदगी से परेशान होकर खुद जानवर बने ‘जंगल के रखवार’... कहानी में पढ़िए शिक्षक का सबक Featured

बाल कहानियां: राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक विनय शरण ने छत्तीसगढ़ी में लिखी किताब

खैरागढ़. गंडई क्षेत्र के मगरकुंड में तकरीबन 10 दिन पहले शिकारियों की दरिंदगी सामने आई। अखबारों में तस्वीरें छपीं। क्रूरता देख लोग आक्रोशित हुए। तेंदुए के दांत, पांव और पूंछ गायब मिले। यह देख बाल मन सिहर उठा। जंगल के साथ होती ऐसी ही ज्यादतियों के आगे तंत्र की बेबसी को भांपकर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त रिटायर्ड शिक्षक विनय शरण सिंह ने बाल कहानियों की किताब लिखी है, ‘जंगल के रखवार’!

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कविता और कहानियों के जरिए बच्चों को भाषाई कौशल सिखाने वाले खैरागढ़ के शिक्षक विनय शरण की एक और किताब जल्द ही बच्चों के लिए उपलब्ध होगी। छत्तीसगढ़ी में लिखी गई इस 40 पेज की इस किताब में कुल 6 कहानियां हैं, जो पंचतंत्र की कहानियों की तरह ही शिक्षाप्रद हैं, लेकिन इनमें आधुनिकता का समावेश है।

किताब का शीर्षक पहली ही कहानी से लिया गया है, जंगल के रखवार! पेड़ों की कटाई के चलते जंगल नष्ट हो रहे हैं। जंगल की दुर्दशा से राजा चिंतित है। उसे यह चिंता खाए जा रही है। इसी विषय को लेकर जंगल में बैठक रखी गई और जानवरों को जिम्मेदारी सौंपी गई। इस बैठक में इंसानों से जंगल को बचाने के तरीके भी सुझाए गए।

जानवरों के बीच छत्तीसगढ़ी संवाद से रोचक हुई कहानी

कहानी में छत्तीसगढ़ी भाषा के शब्द इसे रोचक बना रहे हैं। उस पर जानवरों के बीच हुए संवाद से इसकी रोचकता बढ़ रही है, जैसे:- ‘भुलआ कहिस, चल भाग इहां ले। अब कभु तोला कोई खड़े पेड़ ल काटत देखहूं, त तोर चूंदी ल पुदक डार हूं’

इस कहानी में बाघ नेतृत्व करता है और वह अपने साथियों में जोश भरता है, जैसे:- बघवा फेर बोलिस, चलव, सब कोई मोर संग ये गाना ल दुहरावव…

जंगल आय हमर घर-बार

एला नइ होवन देवन उजार

जुरमिल एकर रक्षा करबो

हम सब जंगल के रखवार

कमजोरों का सूचना तंत्र और ताकतवरों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी

इस कहानी में बताया गया है कि कैसे जंगल में राजा शेर ने कमजोर पशु-पक्षिओं का सूचना तंत्र तैयार किया, जिसमें हिरण, खरगोश, सियार, बंदर आदि को लिया गया। वहीं तेंदुआ, हाथी, चीता, भालू आदि बलिष्ठ व खूंखार जानवरों को सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद जानवरों के तंत्र ने काम करना शुरू किया और जंगल को बचा लिया।

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पांच कहानियों में उतियइल बेंदरा भी

बाल कानियों की इस किताब में जंगल के रखवार के अलावा पांच कहानियां और हैं, जिसमें महिनत के फर, मोती के सपना, कंउआं के मितानी, अमरू अउ डमरू व उतियइल बेंदरा भी शामिल हैं। विनय का कहना है कि हरेक कहानी अधुनिकता से जुड़ी हुई है। प्रकाशन के बाद यह जल्द ही बच्चों के लिए उपलब्ध रहेगी।

कक्षा चार की पाठ में है कोलिहा खोलिस चश्मा दुकान

प्राइमरी एजुकेशन में विनय ने कई नवाचार किए हैं। पहली से आठवीं तक के पाठ्यपुस्तकों में उन्होंनेे लेखन कार्य किया है। उनकी ही लिखी एक कहानी, कोलिहा खोलिस चश्मा दुकान को चौथी कक्षा के समेकित पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जो आज भी बच्चों व शिक्षकों के बीच काफी चर्चित है।

रेडियो पर भी सुनाते हैं बाल कहानियां

शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सात साल पहले खंडाला में आयोजित एक कार्यक्रम रतन टाटा ट्रस्ट मुंबई की तरफ से इनोवेटिव टीचर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। इसके बाद वर्ष 2014 में उन्होंने राज्यपाल पुरस्कार भी प्राप्त किया था।

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उनकी कहानियां व कविताएं हिंदी और छत्तीसगढ़ी दोनों ही भाषाओं में आकाशवाणी से भी प्रसारित हो रही हैं। बताया गय कि उनकी कविताएं कवि सम्मेलनों में लोगों को गुदगुदाती रही हैं। उन्होंने प्रदेश के विभिन्न शहरों में होने वाले कवि सम्मेलनों में अपनी प्रस्तुतियां दी हैं। वहां उन्होंने वाहवाही भी बंटोरी है।

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Last modified on Sunday, 07 March 2021 15:39

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