तेलंगाना : 23 साल की एक BSc ग्रेजुएट. अपने गांव के मुहाने पर हाथ में एक डंडा लेकर खड़ी. क्यों? ताकि गांव के अन्दर बेवजह आने वालों को रोक सके. कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन की शुरुआत में ही अखिला यादव सावधान हो गई थीं. और अपने गांव के बाहर बैरिकेड लगा दिए थे.
तेलंगाना में एक जिला है, नालगोंडा. इसके मदंपुरम गांव की सरपंच हैं अखिला. टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, अखिला ने बताया कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में लोग आवाजाही कर रहे थे वहां. उन्हें रोकने के लिए वो सुबह से लेकर दोपहर तक अपने गांव के बाहर एक छड़ी लेकर खड़ी रहती थीं. दोपहर में थोड़ा ब्रेक लेकर फिर वापस लौटती थीं. फिर शाम तक वहीं रहती थीं. अखिला ने बताया, -‘पहले लोग लॉकडाउन को सीरियसली नहीं ले रहे थे. मैंने दूसरे गांव से लोगों को यहां पर बिना वजह आते देखा. इसलिए मैं गांव के अन्दर आने के रास्ते एक पर बैरिकेड लगाकर बैठ गई. मैं उनसे बाहर घूमने की वजह पूछती थी. ये भी कि वो गांव में क्यों आ रहे हैं. अगर उनके पास कोई अच्छी वजह होती थी, तो उन्हें अन्दर आने दिया जाता था. वरना मैं उनसे लौट जाने को कहती थी.
अब लोगों को जानकारी हो गई है, और लॉकडाउन का भी सख्ती से पालन किया जा रहा है. तो अखिला ने बैरिकेड हटवा लिए हैं. लेकिन गांव का राउंड अभी भी लगा रही हैं. अखिला का कहना है कि इसी समय ज्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है. गांव में एक व्यक्ति को भी इन्फेक्शन हुआ तो कई लोगों तक फ़ैल जाएगा.
अपने गांव के बाहर छड़ी लेकर बैठीं अखिला. (तस्वीर: फेसबुक)
इस वजह से वो गांव में कोई नया व्यक्ति या नया वाहन देखती हैं तो पूछती ज़रूर हैं. गांव में 2000 के करीब मास्क बांटे गए हैं. अखिला खुद भी घरों के दरवाजों पर जाकर लोगों को जानकारी दे रही हैं.