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परित्यक्ता और विधवाओं के लिए खत्म हो बीपीएल की अनिवार्यता : साहू
लोकसभा में सरकार का ध्यानाकर्षण करते हुए नियम शिथिल करने का दिया प्रस्ताव।
चुन्नीलाल ने कहा- कम उम्र में ही परित्याग और विधवा की जिंदगी बसर कर रही महिलाओं और उनके बच्चों की परवरिश के लिए सरकार दे विशेष पैकेज।
नई दिल्ली। महासमुंद सांसद चुन्नीलाल साहू ने शुक्रवार को परित्यक्ता और विधवा महिलाओं के लिए विशेष पैकेज की मांग की। लोकसभा में ध्यानाकर्षण के जरिए धारा 377 के तहत यह प्रस्ताव रखते हुए उन्होंने बताया कि कम उम्र में ही अधिकांश महिलाएं इस तरह (परित्यक्ता और विधवा) जिंदगी बसर करने के लिए विवश होती हैं। अधिकतर महिलाओं का नाम ससुराल और मायके की आर्थिक दशा के अनुरूप एपीएल सूची में शामिल होता है, जबकि उनकी परिस्थितियां बीपीएल परिवारों से भी बद्तर हो जाती हैं। वे न ही ससुराल की होती हैं और न ही मायके में उन्हें समुचित स्थान मिल पाता है। सामाजिक न्याय के लिए तय की गई सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए बीपीएल सूची में नाम की अनिवार्यता होती है, इसलिए ऐसी महिलाओं को शासन-प्रशासन से भी निराशा मिलती है।
सांसद साहू ने सदन के माध्यम से सरकार को बताया कि छत्तीसगढ़ समेत देश के दूसरे राज्यों में कम उम्र में विधवा और परित्यक्ता महिलाओं की संख्या बढ़ी है। ससुराल और मायके की स्वभाविक उपेक्षा के चलते उन्हें खुद के साथ बच्चों की परवरिश करने में काफी तकलीफें हो रही हैं। ऐसी महिलाओं को शासन की सामाजिक न्याय से जुड़ी योजनाओं के लाभ से जोड़ने के लिए बीपीएल सूची की अनिवार्यता खत्म की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि मौजूदा नियम के अनुसार देश में विधवा, परित्यक्ता, निराश्रित और तिरस्कृत महिलाओं को पेंशन, आश्रय औ पुनर्वास का प्रावधान है, लेकिन इसके लिए उनका नाम पृथक या पारिवारिक तौर पर बीपीएल की सूची में होना चाहिए। जिसे शिथिल कर लाभान्वित करने की आवश्यकता है।
सांसद साहू ने यह इस मसले पर छत्तीसगढ़ सरकार से हुई चर्चा का जिक्र करते हुए बताया कि राजिम में भक्त माता कर्मा जयंती के माैके पर छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को पूरी स्थिति से अवगत कराया और विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया। केंद्र और राज्य की सरकारें इस विषय में ध्यान देगी तो आने वाले दिनों में ऐसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सहायता मिलेगी।