खैरागढ़. जिले के खैरागढ़ जनपद पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में जनपद अधिकारियों पर लगे अवैध वसूली के आरोपों ने माहौल को गर्मा दिया। जनपद सदस्य सरस्वती सन्नी यदु और आकाश दीप गोल्डी ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए, लेकिन बैठक में अधिकारियों की जवाबी सफाई और जनपद सदस्यों की निष्क्रियता के चलते यह मुद्दा बिना निष्कर्ष के अधर में लटक गया। विपक्ष इस मुद्दे को मजबूती से उठाने में असफल रही, जिससे ग्रामीण राजनीतिक हलकों में उनकी आलोचना हो रही है।
सामान्य समय की बैठक में अनुपस्थित रहे जनपद सीईओ नारायण बंजारा सदस्यों द्वारा लगाए गया आरोपों पर सवाल किए तो सीईओ ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
जनपद सदस्य सरस्वती सन्नी यदु ने आरोप लगाया था कि डीएससी (डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट) बनाने के नाम पर जनपद अधिकारी सरपंचों से 3000 रुपए की मांगे हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीईओ नारायण बंजारा ने कहा कि डीएससी बनवाने के लिए कई एजेंसियां मौजूद हैं और सरपंच स्वतंत्र रूप से इसे बनवा सकते हैं। जनपद पंचायत की ओर से किसी भी सरपंच से रुपए नहीं मांगे गए हैं और न ही इस संबंध में कोई बाध्यता है कि डीएससी केवल जनपद के माध्यम से ही बनवाया जाए।
वहीं जनपद सदस्य आकाश दीप गोल्डी ने आरोप लगाया कि "सुशासन तिहार" के आयोजन के नाम पर अधिकारियों द्वारा पंचायतों से 10-10 हजार रुपये की मांग की गई है। इस पर भी सीईओ ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आरोप लगाने वाले सदस्य ही स्पष्ट करें कि किसने और कब पैसे मांगे। उन्होंने दोहराया कि जनपद पंचायत द्वारा किसी भी पंचायत से सुशासन तिहार के नाम पर राशि नहीं मांगी गई है।
सरपंचों के बीच चल रहा है स्टीमेट संबंधित अफवाह का भी सीईओ ने दिया जवाब
हाल ही में कई सरपंचों ने यहां अफवाह उड़ा दी कि सीईओ द्वारा सरपंचों को मौखिक रूप से निर्देश दिए गए हैं कि 5000 रुपये से ऊपर के कार्यों के लिए स्टीमेट बनाना अनिवार्य होगा। इस संबंध में सीईओ ने स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो मौखिक और न ही लिखित रूप से इस तरह का कोई आदेश जारी किया है, हालांकि शासन की गाइडलाइन के अनुसार सभी कार्य स्टीमेट के आधार पर ही किए जाने चाहिए।
जनपद सदस्यों की निष्क्रियता खुलकर आई सामने
सामान्य सभा की बैठक में जनपद सदस्यों द्वारा उठाए गए गंभीर मुद्दों पर जांच कमेटी गठित करने की जरूरत थी, लेकिन जनपद सदस्यों की निष्क्रियता और अधिकारियों के टालमटोल जवाबों के चलते मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। विपक्ष भी इस मुद्दे को संगठित ढंग से उठाने में असफल रहा, जिससे ग्रामीण राजनीति में विपक्ष की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।जनपद की बैठक में अवैध वसूली जैसे महत्वपूर्ण विषय पर ठोस कार्रवाई न होने से यह मामला केवल बहस तक ही सीमित रह गया और इसका कोई व्यावहारिक असर देखने को नहीं मिला।
वसूली की कार्रवाई से दुर्भावना वश लगा रहे
सीईओ ने यह भी संकेत दिए कि कुछ जनपद सदस्य जो पूर्व में सरपंच रहे हैं, उन पर जनपद स्तर की वसूली संबंधी कार्रवाई चल रही है, ऐसे में हो सकता है वे दुर्भावना के तहत आरोप लगा रहे हों।