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शासन से मिले 35 लाख में अस्पताल को दिए मात्र 6 लाख के सामान
खैरागढ़ 00 पालिका के जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में पालिका के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं। कोविडकाल में कोविड रोकथाम व मेडिकल संसाधनों की सप्लाई के लिए शासन ने लगभग 35 लाख रूपए पालिका को उपलब्ध कराए। पर मात्र 5 लाख 99 हज़ार रुपए के आसपास के सामान सिविल अस्पताल खैरागढ़ को उपलब्ध कराए गए बाकी राशि अनुविभाग स्तर के अधिकारी के संरक्षण में गबन कर ली गई। मानवीय संवेदनाओं को किनारे रख तार - तार करते हुए साल 2020 से लेकर 2022 तक इन 35 लाख रुपयों के साथ अध्यक्ष निधि और पार्षद निधि के लगभग 27 लाख रुपए भी राशन किट खरीदी के नाम पर आहरित किए गए हैं। कोविड के दौर में भी पालिका में कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया है।
6 लाख का सामान हुआ सप्लाई
पालिका ने कोविड के दौर में पालिका में 50 नग प्लोमीटर जिसका बाज़ार मूल्य लगभग 1000 रूपए प्रति प्लोमीटर है। इस तरह इसका बाज़ार मूल्य 50000 होता है। इसी तरह अस्पताल में 200 नग पीडीयेटिक मास्क जिसकी कीमत 180 रूपए प्रति नग है। और कुल बाज़ार मूल्य 36000 रूपए है। 200 नग एडल्ट मास्क जिसका कुल बाज़ार मूल्य 38000 रूपए है। 20 नग बड़ा ऑक्सीजन जिसका बाज़ार मूल्य 400000 रूपए है। और 10 नग छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर जिसका बाज़ार मूल्य 75000 रूपए है। इस तरह कुल 5 लाख 99 हज़ार रूपए के सामान सिविल अस्पताल में सप्लाई किए। लेकिन इसके एवज़ में कुल लगभग 35 लाख का हेर् फेर किया गया।
राशन किट खरीदी में भी हुआ घालमेल
अध्यक्ष निधि से भी राशन किट सप्लाई के नाम पर क्रमशः 4 मई 2020 को 1103600,18 मई 2020 को 1103600,29 मई 2020 को 331057 और 1 जून 2020 को 70110 रूपए आहरित किए गए। कुल मिलाकर 27 लाख 50 हज़ार 637 रूपए की राशि में सेंधमारी की गई है।
अध्यक्ष निधि,पार्षद निधि व एल्डरमेन निधि की जाँच से सामने आएगा हर सच
पालिका में वित्तीय वर्ष 2020 से लेकर 2024 तक अध्यक्ष निधि / पार्षद निधि व एल्डरमैन निधि की राशि को तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारियों की भागिदारी के साथ सीधे तौर पर बंदरबाँट किया गया है। पार्षद गणों को मोटे कमीशन का लालच देकर अधिकारियों ने तमाम गड़बड़ियों को अंजाम दिया है।
बदल चुकी है पालिका की राजनितिक तस्वीर
4 साल बाद अब पालिका की राजनितिक तस्वीर. पूरी तरह से बदल चुकी है। कभी कांग्रेस कार्यकाल में अध्यक्ष रहे शैलेन्द्र वर्मा अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। और पालिका की सत्ता में साझीदार रहे कांग्रेसी पार्षद अब शैलेन्द्र के विरोध में खड़े हो गए और भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि सवाल अब उन पार्षद गणों पर भी खड़ा हो रहा है। इधर कांग्रेस के कार्यकाल में विपक्ष की भूमिका में शून्य रहने वाले भाजपाई पार्षद अब भी मौन साधे हुए हैं। भाजपा के कार्यकर्ता ज़रूर शैलेन्द्र वर्मा का पुरज़ोर समर्थन कर रहे हैं।
मिले थे सामान - डॉ.विवेक बिसेन,बीएमओ
विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.विवेक बिसेन ने बताया कि कोविड काल में पालिका से कुछ सामान मिले थे। जिनका उपयोग मरीज़ों की सुविधा के लिए किया गया है।
नस्ती देखकर बता पाउँगा - प्रमोद शुक्ला,सीएमओ, नगरपालिका
मुख्य नगरपालिका अधिकारी प्रमोद शुक्ला ने बताया कि यह सही है कि कोविड काल में 35 लाख रूपए शासन से प्राप्त हुए थे। पर कौन सी सामग्री खरीदी गई यह मैं नस्ती देखकर ही बता पाउँगा।