खैरागढ़. अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सुर-ताल, छंद और घुँघरू को समर्पित 39वें चक्रधर समारोह का आयोजन रायगढ़ के रामलीला मैदान में 7 से 16 सितंबर तक किया गया। आयोजन की 6वीं संध्या इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के लोक संगीत एवं कला संकाय के छात्र-छात्राओं ने छत्तीसगढ़ी लोकगीत एवं लोकनृत्य की नयनाभिराम प्रस्तुति दी। लगभग एक घंटे तक चले इस प्रस्तुति में गणेश वंदना, सरहुल नृत्य, गेड़ी नृत्य, देवार करमा, सुआ नृत्य, गौरी गौरा(झांकी) लोकगीत, राउत नृत्य, पंथी नृत्य एवं छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि गाथा गीत भरथरी का मनमोहक ढंग से प्रदर्शन किया।
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वाद्य संगतकार के रूप में डॉ. बिहारी लाल तारम, बांसुरी डॉ. नत्थू लाल तोड़े, हारमोनियम डॉ. राजकुमार पटेल, अतिथि शिक्षक ने मांदर, रामचंद्र सर्पे ने तबला तथा विभाग के छात्र टहल साहू ने बेंजो, खेमलाल श्रीवास ने आर्गन, आशीष यादव ने ढोलक एवं सूरज ठाकुर ने घुँघरू पर अपनी सहभागिता दी। कार्यक्रम का संगीत संयोजन डॉ. बिहारी लाल तारम तथा निर्देशन डॉ. योगेंद्र चैबे अधिष्ठाता लोक संगीत एवं कला संकाय ने किया।
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कार्यक्रम के दौरान नृत्य पक्ष में जिनूराम वर्मा, रिंकू वर्मा, रोशन रजक, डेरहु प्रसाद, खगेश पैकरा, धीरेन्द्र निषाद, कविता कुम्भकार, झरना देवहारी, वंदना, सुमन बेरवंशी, खुशी वर्मा एवं लुभाश पटेल तथा गायन पक्ष में अतिथि शिक्षक डॉ. परमानंद पाण्डेय व डॉ. विधा सिंह राठौर के साथ हर्षा साहू एवं मनीष कामड़े की प्रमुख भूमिका रही।