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राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा की 10 सूत्रीय मांग और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन

 

ख़ैरागढ़. संयुक्त पिछड़ा वर्ग एवं बहुजन क्रांति मोर्चा के तत्वाधान में देशभर के 66 संगठनों द्वारा समर्थित आयोजन हुआ. 10 सूत्रीय मांग को लेकर प्रतीकात्मक बन्द के साथ 29 मई को रैली, भाषण के बाद जोर शोर से नारे लगाते हुए, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम राजनांदगांव कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. जिसमे राष्ट्रीय जनगणना में ओबीसी की गणना और आंकड़े प्रकाशित किया जाने. असंवैधानिक क्रीमीलेयर की रेखा को समाप्त किये जाने. ओबीसी के 27% प्रतिनिधित्व को देश भर में समान रूप से लागू किया जाए इसके लिए भारत सरकार अध्यादेश पारित कर संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करें. संरक्षित क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण नहीं करने वाले अनुसूचित जनजाति को मिलने वाली कैंपा निधि की राशि वहां निवासरत सभी लोगों को समान रूप से मिले देश के अन्य राज्यों की भांति छत्तीसगढ़ राज्य में पिछड़ा वर्ग से संबंधित लोक कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रम के सुव्यवस्थित संचालन हेतु पृथक से विभाग संचालित किया जाए. पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों के साथ भेदभाव पूर्ण नियुक्ति के खिलाफ कार्रवाई छत्तीसगढ़ प्रदेश के शासकीय विभागों, निगम मंडलों, निकायों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों अधिकारियों को नियमित किए जाने. छत्तीसगढ़ शासकीय आईटीआई में रिक्त पद के विरुद्ध कार्य निर्माण प्रवक्ताओं में मानदेय में वृद्धि करने. ईवीएम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को हटाकर लोकतंत्र में चुनाव में बैलेट पेपर को लाने तथा कोरोना काल में संसद द्वारा मजदूरों के लिए लाए गए कड़े और अमानवीय श्रम कानून को वापस लेने जैसी कानूनों के खिलाफ कानूनों को वापस लेने के लिए मांग पत्र सौंपा गया. इस आयोजन गतिविधि में मुख्य रूप से जिला पंचायत राजनांदगांव के सभापति विप्लव साहू, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के भीमराव वागडे, बहुजन मुक्ति मोर्चा के एसके बालाधरे, बरिष्ठ बी पी मेश्राम, एल सी मैशराम, कामरेड बसंत साहू, एडवोकेट शेखू वर्मा, वंदना मेश्राम, रविता लकड़ा, छाया उइके आदि के साथ साथी बड़ी संख्या में मौजूद थे।

 

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