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राम जी की न चली भक्त हनुमान के आगे

राम जी की न चली भक्त हनुमान के आगे साभार - udayshankar's cartoon

बंकिम दृष्टि/जितेंद्र शर्मा 

राम जी की न चली भक्त हनुमान के आगे

होइहैं वही जो राम रुचि राखा। रामायण की चौपाई के इस अंश ने बड़े बड़ों के होश उड़ा दिए हैं। प्रभु राम के सहारे बेड़ा पार करने वाला राजनीति का एक धड़ा राम के प्रति अपनी भक्ति पर भरोसा जताते हुए दिल्ली चुनाव जीत जाने का दंभ भरने लगा था। उन्हें लग रहा था कि अयोध्या में प्रभु को उनका निवास दिलाने में बड़ा हाथ है सो प्रभु की उन पर कृपा जरूर होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पंडितों ने जब इसकी समीक्षा तो बड़ी भूल का एहसास हुआ। दरअसल प्रभु ने इस मामले में भी अपने भक्त की ही लाज रखी। इसीलिए तो दिल्ली में झाडू लग गई। क्योंकि दूसरे एक धड़े ने जब देखा कि राम तो उनके हो गए हैं, तो उन्होंने उनके सेवक की अर्चना शुरू कर दी। उनकी पूजा अर्चना से भक्त हुनमान प्रसन्न हो गए और प्रभु राम के पास उनके नाम की पर्ची लगा दी। अब भगवान भी अचरज में पड़ गए। किसकी सुनें, किसकी नहीं। उन्होंने सोचा कि जो ज्यादा बड़ा भक्त है पहले उनकी सुनी जाए। और उन्होंने आशीर्वाद दे दिया हनुमान जी को लिहाजा बेचारे बाद की पंक्ति वालों के हाथ खाली रह गए। मतलब साफ है हुआ वही है जो राम ने रच रखा है। यदि ये भी सिस्टम से अर्जी लगाए होते तो संभव था, रिजल्ट कुछ और होता।

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Last modified on Saturday, 15 February 2020 14:22

1 comment

  • Harsh deep dubey
    Comment Link Harsh deep dubey Tuesday, 25 February 2020 15:10

    दिल्ली के नतीजे को सटीक दर्शाती लेख।

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