गर्भगृह में विराजी हैं काष्ठ की प्रतिमाएं,ट्रस्टियों में जनप्रतिनिधि भी शामिल
खैरागढ़. बर्फ़ानी बाबा के समाधिस्थ होने के बाद विवादों में आए प्राचीन श्री राम मंदिर का इतिहास भी काफी पुराना है। 300 साल से अधिक प्राचीन मंदिर के गर्भगृह में राम दरबार विराजमान हैं। सभी प्रतिमाएं काष्ठ की बनी हुई हैं। और काफी प्राचीन नज़र आती हैं। मंदिर भी अति प्राचीन शैली में बनी हुई हैं। गर्भगृह के ठीक सामने हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है। समय के साथ मंदिर भी अतिप्राचीन हो चुका है। मंदिर से लगकर रसोई बनी हुई है। और परिसर में एक भव्य सभा कक्ष बना हुआ है। समिति के सदस्यों ने बताया कि सभा कक्ष से लगकर बर्फ़ानी बाबा का कमरा और कुछ और कमरे भी बने हुए हैं। जिन्हें किराए पर दिया गया है। सभा कक्ष सहित अन्य कमरों को विवाह सहित अन्य कार्यों के लिए किराए पर दिया जाता है।
बर्फ़ानी बाबा हैं सर्वराकार
मंदिर से लगी हुई भूमि खसरा नंबर 1077,रकबा 1.0640, हेक्टयर,श्री रामचंद्र जी मंदिर पिता - सर्वराकार योगिराज श्री 108 श्री बर्फ़ानी दादा के नाम पर दर्ज है। भू अभिलेख दस्तावेजों में भी भूमि पर सर्वराकार के रूप में बर्फ़ानी बाबा का नाम दर्ज है।
5 अगस्त 2017 को हुआ है ट्रस्ट का पंजीयन
लोक न्यास पंजीयक अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत लोक न्यास प्रकरण क्रमांक 201707092400006/2 ब - 113 वर्ष 2016 - 17 के आधार पर न्यास श्री बर्फ़ानी दादा जी ट्रस्ट समिति खैरागढ़,जिला - राजनांदगांव की प्रविष्टि सार्वजनिक लोक न्यास पंजी के अनुक्रमांक 19 में 5 अगस्त 2017 को अंकित की गई है। तत्कालीन लोक न्यास पंजीयक अधिकारी पी एस ध्रुव ने लोक न्यास अधिनियम 1951 के अनुसार समिति को पंजीयन प्रमाण पत्र प्रदान किया है।
विक्रांत और गुलाब भी हैं सदस्य
पंजीयन अनुसार मंदिर के सर्वराकार के रूप में श्री श्री 1011 बर्फ़ानी दादा का नम्बर दर्ज है। वहीं समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत शिक्षक व पेंशनर संघ के पूर्व अध्यक्ष राकेश बहादुर सिंह व सदस्य के रूप में कांग्रेस नेता गुलाब चोपड़ा,आरटीओ विभाग से सेवानिवृत्त राजीव सिंह,आलोक बिंदल,नवीन सिंह,हितेश रावल,जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह,एम डी ठाकुर,आशुतोष शरण सिंह,कांग्रेस नेता कुलबीर छाबड़ा,प्रखर शरण सिंह,राजेन्द्र अग्रवाल,सत्य नारायण सिंह,प्रियंक सोनी और संजय सिंह का नाम दर्ज है।
राजा रविंद्र बहादुर ने दिया अधिकार पत्र
तत्कालीन राजा रविंद्र बहादुर सिंह की ओर से एक रूपए के स्टाम्प में दिए गए अधिकार पत्र में लिखा गया है कि टिकरापारा में हमारे पूर्वजों का बनाया हुआ सुरया बाई राम मन्दिर है,जिसका जीर्णोद्धार मैनें श्री योगिराज बर्फ़ानी बाबा गुरु अर्जुन दास अमरकंटक वाले के हस्ते कराया है। मंदिर की व्यवस्था और देखभाल का संपूर्ण अधिकार बर्फ़ानी बाबा को उक्त स्टाम्प अनुसार राजा रविन्द्र बहादुर ने दिया है। 09 फरवरी 1972 को लिखे गए स्टाम्प में साक्षीगणों के रूप ठाकुर गजेंद्र सिंह व अन्य 4 लोगों के हस्ताक्षर हैं।
लक्ष्मण दास भी कर रहे हैं दावा
गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राम सुंदर दास की मौजूदगी में महामंडलेश्वर बनाए गए लक्ष्मण दास भी खुद के गादीपति होने का दावा करते हुए बर्फ़ानी बाबा की समस्त सम्पत्तियों का उत्तराधिकारी होने का दावा कर रहे हैं। लक्ष्मण दास भी खुद के पास बर्फ़ानी बाबा दिए हुए अधिकार पत्र का हवाला दे रहे हैं। और खुद को उनका शिष्य बताते हुए मंदिर में मौजूद हैं।
बिंदुवार जानिए मंदिर की स्थिति :-
1.सुरया बाई राम मंदिर का अधिकार पत्र राजा रविंद्र बहादुर सिंह बर्फ़ानी बाबा को दे चुके हैं।
2. अधिकार पत्र के आधार पर अभिलेखों में बर्फ़ानी बाबा का नाम दर्ज है।
3.बर्फ़ानी ने ट्रस्ट का निर्माण कर मंदिर और भूमि का प्रबंधन ट्रस्ट को सौंप दिया है।
4. विधायक देवव्रत सिंह ट्रस्ट को अवैध करार दे चुके हैं।
5. महा मण्डलेश्वर लक्ष्मण दास ट्रस्ट को फ़र्ज़ी बता कर काबिज़ हैं।
प्रशासनिक पहल शून्य
करोड़ों की संपत्ति पर चल रहे है विवाद के बावजूद विवाद के निपटारे के लिए प्रशासनिक पहल शून्य है। मामले में पक्ष जानने एसडीएम लवकेश ध्रुव से संपर्क का प्रयास किया गया। पर उन्होंने फ़ोन नहीं किया और न ही वाट्स एप पर भेजे गए संदेश का जवाब दिया।
क्या कहते हैं पक्षकार :
राजा साहब ने नहीं दिया कोई दानपत्र : विधायक
विधायक देवव्रत सिंह ने कलेक्टर से समिति की वैधता को लेकर शिकायत कर जांच की है। विधायक के अनुसार राजा रविंद्र बहादुर ने कोई रजिस्टर्ड दानपत्र नहीं दिया है।
ट्रस्ट है फ़र्ज़ी - लक्ष्मण दास
महमण्डलेश्वर लक्ष्मण दास का कहना है कि वे गादीपति है।जिसका अधिकार पत्र उनके पास है। फर्जी रूप ट्रस्ट बनाकर कब्ज़ा किया गया है। मामले को कानूनी रूप से देखेंगे।
बर्फ़ानी बाबा के हस्ताक्षर बाद हुआ पंजीयन - ट्रस्ट
ट्रस्ट के अध्यक्ष राकेश बहादुर सिंह व अन्य का कहना है कि बर्फ़ानी बाबा की अनुमति से ट्रस्ट का निर्माण किया गया है।आवेदन में उनके हस्ताक्षर हैं। और नियमानुसार ट्रस्ट का पंजीयन है।