The RAGNEETI is periodical magazine and the news portal of central India with the political tone and the noise of issues. Everything is in this RAGNEETI. info@ragneeti.co.in
Owner/Director : Bhagwat Sharan Singh
Office Address : New Bus Stand, Shiv Mandir Road, Khairagarh. C.G
बिलासपुर. जिला मुंगेली के फास्टरपुर थाना में पदस्थ आरक्षक मीठा लाल जांगडे को विभागीय पदोन्नति परीक्षा देने से बड़ी सजा होने का हवाला देकर अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इस प्रकरण पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट बिलासपुर ने नियमानुसार विभागीय पदोन्नति हेतु शारीरिक, लिखित, और समस्त परीक्षाओं में बैठने की अंतरिम राहत का आदेश पारित किया है। मिली जानकारी अनुसार 30 अगस्त 2017 को आरक्षक मीठा लाल जांगडे और ईश्वर साहू द्वारा पेशी कराकर बिलासपुर न्यायालय से वापस आते समय पथरिया मोड़ से उप जेल मुंगेली में निरुद्ध बंदी प्रकाश सोनवानी पुलिस अभिरक्षा से फरार होकर पुलिस अधीक्षक से मिलने कार्यालय पहुंच गया था। जिसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था। उक्त घटना को पुलिस रेगुलेशन की कंडिका 64 (2), (3) का उल्लंघन मानते हुए मीठालाल जांगडे और ईश्वर साहू की एक वेतन वृद्धि एक वर्ष के लिए संचयी प्रभाव से रोकेने का आदेश पुलिस अधीक्षक मुंगेली द्वारा जारी किया गया था। पुलिस अधीक्षक मुंगेली के आदेश से दुखी होकर मीठा लाल जांगडे ने अपील पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज के समक्ष प्रस्तुत किया। पुलिस महानिरीक्षक ने मीठा लाल जांगडे द्वारा प्रस्तुत अपील को निरस्त करते हुए पुलिस अधीक्षक मुंगेली द्वारा पारित आदेश को यथावत रखा। इसके उपरांत श्री जांगडे द्वारा एक दया याचिका पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ शासन के समक्ष वर्तमान में लंबित है।
याचिकाकर्ता के साथ हुआ भेदभाव
इस दौरान कार्यालय पुलिस अधीक्षक मुंगेली द्वारा आरक्षक से प्रधान आरक्षक पदोन्नति परीक्षा हेतु संयुक्त वरीयता क्रम सूची का प्रकाशन किया गया। जिसमें मीठा लाल जांगडे को बड़ी सजा होने से अयोग्य घोषित बताया गया। इसके विरूद्ध श्री जांगडे ने हाई कोर्ट अधिवक्ता अनादि शर्मा और नरेन्द्र मेहेर के माध्यम से याचिका दायर की जिसकी सुनवाई दिनांक 14 सितंबर 2021 को न्यायमूर्ति पी. सेम कोशी के यहाँ हुई। याचिका में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा यह तर्क दिया गया कि पुलिस विनियम के अनुसार पुलिस अधीक्षक को बड़ी सजा के तौर पर एक वेतनवृद्धि को संचयी रूप से रोकने का अधिकार नहीं है एवं गलत तरीके से दी गई सजा के एवज में प्रार्थी को विभागीय पदोन्नति परीक्षा में अयोग्य ठहराना न्यायसंगत नहीं हो सकता। साथ ही याचिकाकर्ता के साथ रहे आरक्षक जिसे भी विभागीय जांच में दोषी ठहराया गया था और एक वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोके जाने का आदेश दिया गया था, उसे विभागीय पदोन्नति परीक्षा में बैठने हेतु योग्य करार दिया, जो याचिकाकर्ता के साथ हुए भेदभाव को दर्शाता है। उपरोक्त तर्कों के आधार पर माननीय न्यायालय के द्वारा प्रकरण की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को अंतरिम रहत देते हुए आरक्षक से प्रधान आरक्षक हेतु विभागीय पदोन्नति परीक्षा में बैठने दिए जाने का आदेश पारित किया गया।
कार्य पद्धति में सुधार लाने का हो प्रयास
अधिवक्ता अनादि शर्मा ने यह भी बताया की पूर्व में पुलिस महानिरीक्षक द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के म.प्र. शासन एवं अन्य विरुद्ध राधिका प्रसाद दुबे में पारित आदेश के अनुरूप जारी किये निर्देश के परिपालन में पुलिस अधीक्षक को एक वेतनवृद्धि संचयी रूप से रोकने का अधिकार नहीं होने की बात कही गई है एवं सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भी जारी परिपत्र में अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा गलती किये जाने पर भी सर्वप्रथम समझाइश देकर उनकी कार्यपद्धति में सुधार लाने का प्रयास किए जाएं और उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव पूर्ण कृत्य/व्यव्हार किसी भी हालत में ना हो का आदेश जारी किया गया है। अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा यह भी बताया गया कि उपर्युक्त विभागों का पुलिस अधीक्षक मुंगेली और पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज के द्वारा अक्षेपित आदेश जारी करते समय ध्यान नहीं रखा गया था।