×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

मुख्यमंत्री बोले- हठधर्मिता छोड़ किसानों की बात मान ले केंद्र सरकार, छत्तीसगढ़ की नीतियों पर करे अमल Featured

 

दलहन-तिलहन समेत सभी फसलों के समर्थन मूल्य की व्यवस्था करनी चाहिए

रायपुर, 13 जनवरी 2021/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यदि केद्र सरकार छत्तीसगढ़ की नीतियों पर अमल करे तो किसानों को कभी आंदोलन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र को अपनी हठधर्मिता छोड़कर डेढ़ महीने से आंदोलन पर बैठे किसानों की बात मान लेनी चाहिए। दलहन-तिलहन सहित सभी फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था करनी चाहिए।

श्री बघेल ने यह बात आज महाराष्ट्र के संगमनेर में आयोजित एक समारोह में कही। यह समारोह महाराष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सहकारिता आंदोलन के प्रणेता स्व. भाऊ साहेब थोर्रात तथा हरित-क्रांति में अपने योगदान के लिए याद किए जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. अन्ना साहेब शिंदे की जंयती पर आयोजित किया गया था। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि किसानों के हक की लड़ाई सभी को मिल कर लड़ना होगा। देश के किसान-मजदूर मजबूत होंगे, तो देश मजबूत होगा। यदि वे कमजोर होंगे तो देश कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र का रवैया बिलकुल ठीक नहीं है, मैं इसकी निंदा करता हूं। श्री बघेल ने कहा कि दिल्ली में आंदोलन पर बैठे किसान केवल अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि 1955 में नेहरू जी द्वारा लागू किया गया एसेंशियल कमोडिटी एक्ट यदि खत्म कर दिया गया तो सारा अनाज पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा। महंगाई बढ़ते देर नहीं लगेगी। केवल कानून पास होने से प्याज और आलू की कीमत 10 रुपए से बढ़कर 70-80 रुपए तक पहुंच गई। इसका लाभ किसानों को नहीं, बल्कि पूंजीपतियों को मिला। श्री बघेल ने कहा कि किसान अपनी लड़ाई लड़ने के साथ-साथ आम उपभोक्ताओं की भी लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं उन्हें बधाई देता हूं।

छत्तीसगढ़ की खुशहाली का फार्मूला केंद्र भी अपनाए

श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमने किसानों से जो वादे किए थे उन सभी वादों को निभाया है। हमने किसानों के ऋण माफ किए। वादे के मुताबिक 2500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से धान खरीदा, जबकि समर्थन मूल्य 1815 रुपया था। इस पर जब केंद्र ने जब कहा कि यदि किसानों को बोनस देंगे तो एफसीआई में आपका चावल जमा नहीं करेंगे, तब हमने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरु की। उन्हें 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से सहायता दी गई। गन्ना उत्पादक किसानों को तो 13000 रुपए प्रति एकड़ लाभ मिला। श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में चार शुगर मिल हैं, और किसानों से 350 रुपया प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीदा जाता है। श्री बघेल ने कहा कि इन्हीं सब कारणों से छत्तीसगढ़ में मंदी का कोई असर नहीं हुआ। कोरोना के बावजूद व्यापार-उद्योग में कमी नहीं आई। सितंबर-अक्टूबर माह में 24 प्रतिशत और नवंबर में 26 प्रतिशत जीएसटी कलेक्शन के साथ छत्तीसगढ़ देश में अव्वल रहा। दिसंबर महीनें में छत्तीसगढ़ की उपलब्धि 10 प्रतिशत की रही। श्री बघेल ने कहा कि कोरोना काल में छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा मोटरसाइकिलें, कारें, ट्रेक्टरों की बिक्री हुई। सोने के जेवर, कपड़े भी खूब बिके। श्री बघेल ने कहा कि आज यदि छत्तीसगढ़ में खुशहाली है तो उसका एक सीधा सा फार्मूला है। किसानों, मजदूरों, गरीबों की जेब में पैसा डाल दीजिए, मंदी का कोई असर नहीं होगा। इस फार्मूले को केंद्र को भी अपनाना चाहिए।

गोबर खरीदी से गजब की उपलब्धियां

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल तो छत्तीसगढ़ ने गजब किया है। पूरी दुनिया की कोई सरकार नहीं है, जो गोबर खरीदती है, लेकिन हम 2 रुपए किलो में गोबर खरीद रहे हैं। अब लोग गोबर बेचकर मोटरसाइकिलों खरीद रहे हैं, हवाई यात्राएं कर रहे हैं। जिनके पास भूमि अथवा पशु नहीं हैं, वे भी केवल गोबर इकट्ठा कर आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने रायगढ़ निवासी सुखराम यादव का उदाहरण देते हुए बताया कि उसने तथा उसकी पत्नी ने गोबर इकट्ठाकर चार महीने में 96 हजार रुपए कमाए हैं। इस तरह उन्होंने गोबर से हर महीना 24 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त की।

श्री बघेल ने कहा कि गाय के नाम पर राजनीति खूब होती है। उन्होंने हरिशंकर परसाई के व्यंग्य को उल्लेख करते हुए कहा, परसाईजी ने एक जगह लिखा है- पूरी दुनिया में गाय दूध देने का काम करती है, केवल हिंदुस्तान है जहां वोट देने का काम करती है। गाय के नाम पर देश में खूब लड़ाइयां हुईं, हत्याएं तक हुईं। छत्तीसगढ़ में हमसे पहले की सरकार के शासन काल में गौशालाएं खोली गईं। सरकार ने करोड़ों रुपए दिए। लेकिन गाय दुबली होती गई, जबकि गौशालाएं खोलने वाले लोग मोटे होते गए। उन्होंने कहा कि फसलों की चराई, खुले में घूमने वाले पशुओं की वजह से होने वाले एक्सीडेंट, और गोबर की वजह से फैलने वाली अस्वच्छता का हमें एक ही हल नजर आया कि गोबर की खरीदी की जाए। गोबर प्राप्त करने के लिए मवेशियों को लोग चारा खिलाएंगे। इससे मवेशी दुबले नहीं होंगे, दूध भी ज्यादा देंगे। हार्वेस्टर के इस युग में बछड़ों और बैलों को कोई नहीं रखना चाहता, जब उनके गोबर से भी पैसा मिलेगा, तब उनकी भी देख-भाल करेंगे। लोग अपने पशुओं को बांधकर रखेंगे।

इससे फसल भी बचेगी और एक्सीडेंट भी नहीं होगी। साफ-सफाई भी रहेगी। श्री बघेल ने कहा कि यही कारण है कि स्वच्छता के मामले में दूसरे साल भी छत्तीसगढ़ पहले नंबर पर आया है। केंद्र सरकार ने इस उपलब्धि के लिए हमें सम्मानित किया है। उन्होंने कहा कि खरीदे गए गोबर से छत्तीसगढ़ में वर्मी कंपोस्ट बनाया जा रहा है, यह वर्मी कंपोस्ट भी 10 रुपए किलो में खरीदा जाता है। इस काम में लगे स्व सहायता समूहों की महिलाओं को इससे रोजगार मिल रहा है और अच्छी आमदनी हो रही है। श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ अपने इस कदम से अब जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है। इससे उत्पादन लागत भी कम होगी और रसायनिक खादों की वजह से फसलों में होने वाली विषाक्तता भी कम होगी। श्री बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 7400 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, इनमें से 4700 गौठान बनकर तैयार हो चुके हैं। इन्हीं गौठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने के अनुरूप गांवों का विकास किया जा सके। श्री बघेल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. भाऊ साहेब थोर्रात और स्व. अन्ना साहेब शिंदे के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इन महापुरुषों ने किसानों, मजदूरों के कल्याण के लिए जो रास्ता दिखाया था, छत्तीसगढ़ उसी रास्ते पर चल रहा है।

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.