पाइल्स के ऑपरेशन बाद झोलाछाप डॉक्टरों ने घर पर ही किया इलाज, गंभीर स्थिति के बावजूद बरती लापरवाही।
खैरागढ़ में झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज के चलते 6 दिन पहले 28 दिसंबर 2020 को राजफेमली वार्ड निवासी 32 वर्षीय आदर्श पिता कृष्णजय सिंह की माैत हो गई। इसके 6 दिन बाद रविवार (3 जनवरी 2021) को पुलिस जांच के लिए उसके घर पहुंची।
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थाना प्रभारी नासिर बाठी ने बताया कि राजनांदगांव से डायरी आ गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टरों ने किसी तरह का आेपिनियन नहीं दिया है। विसरा रिपोर्ट आई है। इसकी जांच रिपोर्ट बाद में आएगी। फिलहाल डायरी आने के बाद विवेचना शुरू कर दी गई है।
इधर घटना के दूसरे दिन झोलाछाप डॉक्टर देवीलाल भवानी की क्लीनिक सील कर प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठ गया। कार्रवाई के लिए पहुंची टीम ने वहां के हालात देखने के बाद भी किसी तरह की सक्रियता नहीं दिखाई। यह भी पता लगाने का प्रयास नहीं किया गया कि बिना रजिस्ट्रेशन और डिग्री के झोलाछाप की प्रैक्टिस कैसे चलती रही। नगर के आसपास एेसे कितने नीम-हकीम हैं, जो बिना डिग्री के मानव शरीर पर औजार चला रहे।
इतना ही नहीं टीम में शामिल नायब तहसीलदार लीलाधर कंवर ने क्लीनिक की जांच कर सामान जब्त करने की बजाय उसे सील लगाना उचित समझा, जबकि साथ में पहुंचे मेडिकल अफसरों ने उन्हें ताला तोड़कर जांच करने का सुझाव भी दिया था। कार्रवाई को लिए प्रशासन का यह ढुलमुल रवैया समझ से परे है।
जानिए क्या होती है विसरा रिपोर्ट
किसी व्यक्ति का शव देखने के बाद यदि उसकी मृत्यु संदिग्ध लगे या उसे जहर देने की आशंका हो तो उसका विसरा सुरक्षित रख लिया जाता है। बात में जांच के बाद स्थिति का पता लगाया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो शरीर के अंदरूनी अंगों फेफड़ा, किडनी, आंत आदि को विसरा कहा जाता है।
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बिना प्रिस्क्रिप्शन कैसे मिल रही शेड्यूल एच-1 दवा
बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन ने ही बताया था कि शेड्यूल एच-1 दवा रजिस्टर्ड प्रैक्टिशनर के प्रिस्क्रिप्शन को देखने के बाद ही बेची जानी चाहिए। ऐसे में प्रशासन ने यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि झोलाछाप डॉक्टरों के पास शेड्यूल एच-1 दवा पहुंच कहां से रही है। समय-समय पर छापेमार कार्रवाई करने वाला जिले का ड्रग डिपार्टमेंट भी इतने बड़ी घटना के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
पटेवा में क्लीनिक चला रहा था मकान मालिक भी
झोलाछाप डॉक्टर देवीलाल भवानी की क्लीनिक अरुण भारद्वाज के मकान में संचालित थी। जानकारी के अनुसार अरुण खुद भी सालभर पहले तक घुमका थाना क्षेत्र के पटेवा में क्लीनिक का संचालन करते रहे हैं। परिजनों के मुताबिक भवानी के साथ अरुण भी मृतक के इलाज में शामिल रहे। सीधा मतलब यह है कि भवानी का अवैध क्लीनिक भारद्वाज के संरक्षण में संचालित होता रहा है। इसकी सूचना पुलिस को भी नहीं दी गई।
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