संगीत विश्वविद्यालय में पहला आयोजन / महोत्सव के पहले दिन इंदौर की कलाकारा चित्रांगना आगले ने पखावज वादन प्रस्तुत किया। इसके बाद पुणे की मंजुषा पाटील ने समा बांधा।
नियाव@ विवि
गायकी के साथ देखिए भाव / मंजुषा के एक-एक आलाप ने बंटोरी तालियां
ठुमरी, भजन और नाट्य संगीत में पारंगत मंजुषा की प्रस्तुति ने महोत्सव में संगीत के कई रंग भर दिए। सुमधुर संगीत के साथ उनके हाव-भाव ने वहां मौजूद दर्शकों को बांधे रखा।
मंच पर पहुंचते ही सबसे पहले उन्होंने स्व. सुनीता भाले को याद किया। फिर प्रो. मुकुंद भाले का आशीर्वाद लेते हुए गायकी शुरू की।
कभी हारमोनियम पर आवाज की हरकत सुनाई तो कभी तबले की ताल पर संगीत के बोलों को स्पष्ट किया। राग भूपाली में झनक, झनक पायल बाजे… सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
इससे पहले चित्रांगना आगले ने पखावज वादन प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति ने भी दर्शकों को हिलने नहीं दिया।
विश्वविद्यालय कैंपस-2, में 31 अक्टूबर 5.30 बजे / सुचिस्मीता एवं देबोप्रिया, मुंबई का बांसुरी युगल वादन तथा कार्यक्रम का समापन आशा खाडीलकर, मुंबई का शास्त्रीय गायन।