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सरोद-सितार पर खेला श्रीलंकाई हुनर, आनंद मंगलम के घुंघरुओं से गूंजा समा

राज्योत्सव 2018 / तीन दिनी महोत्सव के आखिरी दिन छाए रहे इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के छात्र।

अवनद्य- कुतप, स्वर प्रयाग और आनंद मंगलम पर कथक की सामूहिक प्रस्तुति को मिली सराहना।

नियाव@ खैरागढ़

रायपुर में तीन दिवसीय राज्योत्सव का अंतिम दिन इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के छात्रों ने समा बांधा। सरोद-सितार पर जब श्रीलंकाई छात्रों की उंगलियां खेलीं तो दर्शक अवाक रह गए। फिर तबला, खंजरी, ढोलक के तालमेल ने उन्हें उठने नहीं दिया। मंच पर जब कथक के कलाकार आनंद मंगलम की प्रस्तुति के लिए पहुंचे तो तालियां बजीं। फिर सवा घंटे तक श्यामा प्रसाद मुखर्जी परिसर में घुंघरुओं की आवाज गूंजती रही।

शनिवार को राज्योत्सव के अंतिम दिन अटल नगर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी परिसर में विश्वविद्यालय के छात्रों की प्रस्तुति तय थी। प्रो. हिमांशु विश्वरूप के नेतृत्व में पहुंचे विश्वविद्यालय के छात्र अपनी प्रस्तुति को लेकर खासे उत्साही दिखे। अवनद्य विभाग की पहली प्रस्तुति में नाल, तबला, खंजरी, ढोलक और हारमोनियम की प्रस्तुति के दौरान कलाकारों के बीच बेहतर तालमेल नजर आया। फिर स्वर प्रयाग के बाद कथक की प्रस्तुति दी गई।


सितार पर रमल और सरोद पर गिहान के साथ वायलिन पर झिंकी।

रमल के सरोद और गिहान के सितार ने गजब ढाया / स्वर प्रयाग की प्रस्तुति में वायलिन पर झिंकी राय थीं और तबले पर केशव प्रजापति ने संगति दी। इसके बाद श्रीलंकाई छात्र रमल हेलिथ ने सरोद पर और गिहान ने सितार पर अपना हुनर दिखाया। यह कार्यक्रम असिस्टेंट प्रोफेसर विवेक नवरे के निर्देशन में तैयार किया गया।


दीपक व देवेंद्र ने दिखाया तबले व नाल का तालमेल / अवनद्य कुतप की प्रस्तुति के दौरान तबले और नाल पर दीपक दास महंत, तबले एवं खंजरी पर देवेंद्र श्रीवास, तबले व ढोलक पर जयप्रकाश साहू और हारमोनियम लहरा शिवकुमार तांडिया का रहा। इसका निर्देशन प्रो. मुकुंद भाले ने किया।

राज्योत्सव में आनंद मंगलम की प्रस्तुति देते कथक के छात्र।

आनंद मंगलम ने दर्शकों को बांधे रखा / अंतिम प्रस्तुति कथक नृत्य की हुई। कुलपति प्रो. मांडवी सिंह निर्देशित आनंद मंगलम में मंजरी बख्शी, मिली वर्मा, लवली रॉय, नरेंद्र ध्रुव और प्रताप जंघेल की लयबद्ध प्रस्तुति में उनका रियाज नजर आया।


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Last modified on Thursday, 09 January 2020 12:12

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