पान की खेती से एक तरफ जहां किसानों का रुझान कम हो रहा है, वहीं आधुनिक तरीके से और कम लागत में खेती करने की बात कर रहे शोध कृषि वैज्ञानिकों के सभी दावे फेल साबित हो गए। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के पान की 15 प्रजातियों के रिसर्च में यह बात सामने आई है।
2015-16 में नेशनल हॉल्टीकल्चर मिशन के तहत प्लांट फिजियोलॉजी, एग्री बायो-केमिस्ट्री मेडिसिनल एरोमेट्रिक प्लांट विभाग में लगभग 25 लाख स्र्पये का प्रोजेक्ट मिला था, लेकिन पान की खेती दावे के अनुरूप तैयार नहीं हो पाई। जबकि शोध वैज्ञानिकों ने प्रोजेक्ट के दौरान कहा था कि पुरानी पद्धति के बदले डोम में खेती करने से पैदावार में बढ़ोतरी होगी। साथ ही कई राज्यों के चर्चित पान की एक छत के नीचे खेती की जा सकेगी।