बड़ा भ्रष्टाचार/ 11 साल में 18 से 59 करोड़ बढ़ी लागत, फिर भी धंसा प्रधानपाठ बैराज का स्ट्रक्चर। मंदिर की तरफ का हिस्सा धंस चुका है। ऊपरी सतह पर लंबी दरार स्पष्ट दिखाई दे रही है।
नियाव@ खैरागढ़
आमनेर नदी में बहे कांक्रीट के टुकड़ों में दिख रही पतली छड़ प्रधानपाठ बैराज निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की कहानी कह रहे हैं। प्रधानपाठ मंदिर की तरफ एक हिस्सा धंस चुका है और ऊपरी सतह पर लंबी दरार स्पष्ट दिखाई दे रही है। सुलुज गेट भी जाम हो गया है। गुरुवार दोपहर को विद्युत यांत्रिकी विभाग के इंजीनियरों ने इसे सुधारने का प्रयास तो किया, लेकिन सफल नहीं हुए। कुल मिलाकर 11 साल में बैराज की लागत 18 करोड़ 87 लाख से बढ़कर 59 करोड़ दो लाख तक पहुंचा लेकिन निर्माण की क्वालिटी घटिया ही रही।
काम की शुरुआत ही भ्रष्टाचार से हुई। सिविल वर्क किए बिना मैकेनिकल कार्य के सामन खरीद लिए गए। आठ साल तक गेट के सामान जंगल में जग खाते पड़े रहे। इसी वजह से गेट की क्वालिटी बिगड़ी। बैराज के चारों गेट पहले से लीक कर रहे हैं। सिंचाई विभाग के अफसरों ने इस गड़बड़ी को छिपाने कई बहाने गढ़े।
अब फ्लोर की कांक्रीट उखड़ने और स्टीलिंग बेसिन खोखला होने के बाद पूरा स्ट्रक्चर एक तरफ धंस चुका है। प्रधानपाठ मंदिर के बेसिन से तो पानी रिस ही रहा है, विंग वाल से भी धार निकल रही है। इस दौरान यदि तेज बारिश हुई तो खतरे की आशंका है। हालांकि सिंचाई विभाग के इंजीनियर स्ट्रक्चर को लेकर अभी भी आश्वस्त हैं।
सिविल वालों ने ही किया मैकेनिकल काम
बताया गया कि सिंचाई विभाग में सिविल और मैकेनिकल काम के लिए अलग-अलग ब्रांच हैं, लेकिन प्रधानपाठ के निर्माण के समय मैकेनिकल ब्रांच का उपयोग गेट खरीदी के एप्रूवल तक ही सीमित रखा गया। बाकि काम सिविल की देखरेख में ही हुआ है।
जानिए कब-कितनी बढ़ी प्रधानपाठ प्रोजेक्ट की लागत
- 29 सितंबर 2006- 18 करोड़ 87 लाख
- 26 दिसंबर 2007- 35 करोड़ 61 लाख
- 05 अक्टूबर 2017- 59 करोड़ दो लाख
- मार्च 2017 में बनकर तैयार हुआ बैराज।
- फिलहाल हेड वर्क ही हुआ है, केनाल का काम बाकि है।
इसलिए बार-बार खोल रहे के गेट
सिंचाई विभाग के इंजीनियर जान रहे कि बैराज भराव क्षमता 3.4484 मिक्यूमी तक भरा तो आफत आ जाएगी। इसलिए दो घंटे की बारिश के बाद ही गेट खोले जा रहे हैं। जून में महाराष्ट्र की तरफ बारिश होने के बाद ही इसका आकलन कर लिया गया था।
किया जा रहा है प्रयास
सुलुज गेट की कपलिंग टूट चुकी है। उसे सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। स्टाफ लगा हुआ है। बारिश के बाद कांक्रीट के फ्लोर में सुधार कार्य किए जाएंगे।
एसएन शर्मा, एसडीओ, सिंचाई विभाग