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अब मिर्ची से मधुमेह की दवाई बनाने की दिशा में विशेष प्रयास कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के किसान। सुनकर जरूर हैरानी होगी लेकिन यह सच है। मूलतः एक किसान और बायोटेक्नोलॉजी मे गोल्डमेडलिस्ट रामलाल लहरे छत्तीसगढ़ी मिर्च 'जईया" से मधुमेह की दवाई बनाने जा रहे हैं।
दिल्ली में मिल चुका है राष्ट्रिय सम्मान
इस 'जईया' मिर्च पर शोध के लिए सरगुजा के किसान रामलाल लहरे को राष्ट्रीय सम्मान भी मिला है। बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखंड के छोटे से गांव महुली के रहने वाले रामलाल बायोटेक्नालॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। रामलाल को राष्ट्रीय विज्ञान मेला दिल्ली में 3 मार्च को यह राष्ट्रीय सम्मान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा दुर्लभ व सबसे तीखी प्रजाति की 'जईया" मिर्च के संरक्षण व संवर्धन के लिए केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने प्रदान किया।
मुख्यमंत्री ने दी बधाई
राष्ट्रीय नवाचार किसान सम्मान से नवाजे गए रामलाल लहरे को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बधाई दी। रामलाल ने मुख्यमंत्री बघेल से मुलाकात कर अपने शोध के सबंध में बताया और शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए उनसे सहायता दिलाने का आग्रह किया।
यह है इस 'जईया" मिर्च की खासियत
यह दुर्लभ 'जईया" मिर्च सरगुजा और बलरामपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में पायी जाती है। इसमें 2.0 प्रतिशत कैप्सेसिन यौगिक पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार लगाने के बाद करीब 10 साल तक इसके पौधे में मिर्च की पैदावार होती है। इसे विशेष देखभाल की भी आवश्यकता नहीं होती। इस मिर्च की टेस्टिंग कराने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा द्वारा भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर भी भेजा गया है।