×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

मुख्यमंत्री की पत्नी कौशल्या साय ने किया इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का भ्रमण Featured

अपनी पुत्री के साथ गीत-संगीत सहित अन्य कलाओं का लिया आनंद

लोकसंगीत की छात्राओं के साथ थिरकती नजर आयी श्रीमती कौशल्या साय

मूर्तिकला व डिजाईन विभाग पहुंच प्रिंटिंग व मूर्ति बनाने की कला से हुई अवगत

खैरागढ़. प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय अपनी पुत्री के साथ विश्वविद्यालय खैरागढ़ का भ्रमण करने शुक्रवार को पहुंची। कौशल्या साय चित्रकला विभाग पहुंची जहां चित्रकला के छात्रों द्वारा बनाये गये आकर्षक चित्रों का आनंद लेते हुये छात्रों से बातचीत कर चित्रकला के संबंध में जानकारी ली। कैनवास पर उकेरी गई तस्वीरों को देखकर साय प्रफुल्लित हो उठीं। इसके पश्चात संगीत संकाय पहुंची जहां गायन एवं विभिन्न वाद्य यंत्रों की शिक्षा ले रहे छात्रों से मुलाकात कर उनके बारे में जानकारी ली। विभाग प्रमुख नमन दत्त के द्वारा उन्हें अलग-अलग वाद्य यंत्रों के बारे में अवगत कराया। इस दौरान वें विदेश से संगीत व कला की शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे छात्रों से भी मिलीं और उनसे बातचीत की। लोक संगीत संकाय में भ्रमण के दौरान कौशल्या साय ने पहले छात्रों की गीत-संगीत व नृत्य की प्रस्तुति देखी। इसके बाद छात्राओं की विशेष मांग पर उनके साथ छत्तीसगढ़ी गीत पर नृत्य किये तथा सांवरी सुरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया गीत का गायन भी किया।

 

कौशल्या साय मूर्तिकला विभाग पहुंची जहां उन्होंने काष्ठ व मिट्टी की मूर्तियां बना रहे छात्रों से मुलाकात की और मूर्तिकला के संबंध में बारिकी से जानकारी ली। छात्रों से बात करते हुये उनका परिचय भी जाना और उन्हें खूब मेहनत कर बेहतर शिक्षा ग्रहण करने की बात कही। इसी तरह अलग-अलग पद्धति से कागज पर चित्र उकेरने वाली प्रिंटिंग प्रक्रिया से भी वें अवगत हुई। अधिकारियों द्वारा टेराकोटा, लीथोग्राफी व अन्य पद्धति से प्रिंटिंग किये जाने की जानकारी दी गई। इस दौरान छात्रों द्वारा स्वयं के बनाये पोट्रेट व मूर्ति भी उन्हें प्रदान की गई। अंत में साय ने विश्वविद्यालय को लेकर कहा कि जैसा सुना था उससे कहीं ज्यादा पाया। विश्वविद्यालय के छात्र हमारी संस्कृति व हमारी धरोहर को बचाने का कार्य कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के विभिन्न प्रांत तथा विदेशों से पहुंचकर छात्र गीत-संगीत, नृत्य व विभिन्न कलाओं के माध्यम से संस्कृति को सहेज कर रखे हैं। उन्होंने कहा कि अन्य जगहों पर पहले से सृजित चीजों को देखते हैं परंतु यहां छात्रों द्वारा खुद सृजन किया जा रहा है जिसे देखना अद्भुत है। उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों को जल्दी ही रायपुर कार्यक्रम में आमंत्रित करने की बात कही।

 

Rate this item
(0 votes)
Last modified on Saturday, 28 September 2024 17:59

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.