Chattisgarh : विधानसभा सत्र में नागरिकता संधोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रस्ताव पारित करने की मांग की है। माकपा ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अक्टूबर में जारी अधिसूचना को भी वापस लेने की मांग की है।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि एनआरसी की पहली सीढ़ी एनपीआर ही है। अतः जो लोग और सरकार नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हैं, उन्हें एनपीआर रोकने के लिए कदम उठाना होगा। जैसा कि केरल में वाम मोर्चा सरकार ने किया है। इसीलिए माकपा ने जनगणना में एनपीआर से संबंधित सवालों का जवाब न देने की अपील के साथ देशव्यापी अभियान चलाने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि एनपीआर न होने देने की मुख्यमंत्री के बार-बार के वादे के बावजूद इस संबंध में अक्टूबर में ही अधिसूचना जारी होने के प्रमाण सामने आ गए हैं। इससे सरकार की असली मंशा पर ही सवाल उठ गए हैं। इस पर सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए और सरकार को अंधेरे में रखकर उसकी नीतियों के खिलाफ अधिसूचना जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करना चाहिए। पराते ने कहा कि कांग्रेस सरकार को इस अधिसूचना को तुरंत वापस लेना चाहिए और एनपीआर न होने देने के लिए एक नई अधिसूचना जारी करनी चाहिए, ताकि भ्रम और संदेह का वातावरण दूर हो।