हल्की बारिश के बाद नगर से टूटा टिकरापारा और शिव मंदिर रोड का संपर्क
खैरागढ़. विकास के खोखले दावों की पोल एक बार फिर बारिश ने खोल दी है,दो दिनों की बारिश की वजह से नगर दो प्रमुख वार्डों का सम्पर्क शहर से टूट गया है। टिकरापारा और शिव मंदिर रोड की ओर बने पुल पानी में डूबे हुए हैं। दोनों वार्डों में निवासरत लगभग 2000 से अधिक की आबादी के लिए ये दोनों पुल अभिशाप साबित हो रहे हैं। 70 साल से विकास की कोरी घोषणाओं का दंश झेल रहे वार्डों के रहवासी प्रशासनिक निर्लज्जता का शिकार हो रहे हैं। एशिया के पहले विवि से महज 150 मीटर की दूरी में विकास की यह हकीकत है। इस पुल के दूसरी तरफ बड़ी संख्या में छात्र भी किराए के मकानों में निवासरत हैं। जिन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ता है। ये दोनों पुल मोतीनाला में बने हैं। मतलब आमनेर,पिपरिया और मुस्का छोड़कर नाले में बने पुल में बारिश के बाद ये दुखदायी हालात हैं। रोज़ मर्रा के कामों को लेकर उस पार से इस पार आने वाले अब बारिश के कम होने की राह देख रहे हैं।
नदियों पर भेजा कब्ज़ा,नालों पर निर्माण
इस नाले में बारिश के पानी के असर का एक सीधा कारण नदी को बेतरतीब ढंग से कब्ज़ा होना भी है। टिकरापारा से लगी ज़मीनों में प्रशासनिक संरक्षण में बेतरतीब ढंग से क़ब्ज़ा किया गया। मास्टर प्लान होने के बावजूद मनमाने ढंग से नदियों के कब्ज़ा किया गया है और तो और राजनीतिक पहुंच वाले रसूखदार लोगों ने नालों पर क़ब्ज़ा कर निर्माण किया है। जिसकी वजह से आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
चौड़ा नाला बना नाली
टिकरापारा से शिव मंदिर रोड तक पूर्व में एक बेहद चौड़ा नाला बनता था। पर समय के साथ राजनीतिक पहुंच वाले रसूखदार लोगों के कब्जे की वजह से नाला अब नाली में तब्दील हो चुका है। जिसकी वजह से थोड़ी सी बारिश के साथ ही नाला नाली में तब्दील हो जाता है। और खामियाज़ा आम लोग उठाते हैं।
2000 की असुरक्षित आबादी को छोड़ व्यावसायिक हित के लिए बना पुल
साल 2005 व 2006 के बाढ़ के बाद से ही टिकरापारा और शिव मंदिर रोड में पुल के निर्माण की माँग की जाती रही थी। पर इन दोनों जगहों को छोड़कर पुल मोंगरा वार्ड की ओर बनाया गया। जहां बारिश के बावजूद शहर से वार्ड वासियों का लालपुर से संपर्क बना रहता था। पर व्यवसायिक हितों को ध्यान रखते हुए मोंगरा की ओर जाने वाले मार्ग में तो पुल बना पर इन दोनों वार्डों की मांग को अनदेखा कर दिया गया।
राजा की बनाई सुंदर नगरी रसूखदार कब्जेदारों ने बर्बाद कर दी
आमनेर,पिपरिया और मुस्का नदियों के बीच तत्कालीन शासकों ने बड़े ही सोंच समझ के साथ नगर का विस्तार किया था। पर नगर के राजनीतिक रसूखदार लोगों ने जनहित को दरकिनार करते हुए नालों तक पर कब्ज़ा कर लिया। और पूरे नगर का सिस्टम खराब कर दिया है। ये सबकुछ प्रशासनिक संरक्षण में हुआ है। पूरे नगर में नदियों को जोड़ने वाले प्राकृतिक नाले बनाए गए थे। पर ये सभी नाले अब रसूखदारों के कब्जे में हैं।
नालों पर हुआ क़ब्ज़ा सबसे बड़ा कारण
टिकरापारा के रहवासी राजू यदु ने बताया कि टिकरापारा के विकास के दावे तो बहुत हुए पर सिर्फ कोरी घोषणाएं ही हाथ लगी हैं। पुल तो पहले से है। पर अब जलभराव का सबसे बड़ा कारण बेतरतीब ढंग से उक्त नदी के आसपास कब्ज़ा होना है। यकीन नहीं होता की निजी स्वार्थ के लिए नालों तक पर कब्ज़ा कर लिया गया है। और निश्चित तौर पर यह सब प्रशासनिक संरक्षण में हुआ है।
सेतु निगम से गया था प्रपोज़ल
सीएमओ सीमा बक्शी ने बताया कि टिकरापारा पुल को लेकर सेतु निगम से 8 करोड़ का प्रोजेक्ट शासन को भेजे जाने की जानकारी मिली थी,पर बाद में प्रपोज़ल रिजेक्ट होने की सूचना मिली थी। आगे क्या हुआ इसकी जानकारी सेतु निगम के अधिकारी ही दे पाएंगे।