आखिर अमित जोगी जितना दम क्यों नहीं दिखा पा रहे नेता
खैरागढ़. जिला निर्माण को लेकर क्षेत्र का माहौल गर्म है। खैरागढ़ शहर से लेकर छुईखदान,गंडई,साल्हेवारा तक हलचल है। ग्रामीण इलाकों में भी जिले की मांग को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। अमित जोगी ने गुरुवार को इस मुहिम को अपना समर्थन देकर बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से दोनों प्रमुख राजनीतिक दल के बड़े नेता जिला निर्माण की इस दौड़ से दूर हैं। और खुलकर कांग्रेस या भाजपा के बड़े जिला निर्माण को लेकर वो दमखम नहीं दिखा पा रहे हैं,जैसा दम अमित जोगी दिखा गए हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह पर्याप्त अवसर मिलने के बावजूद जिला निर्माण के लिए प्रयास न किया जाना है।
दोनों दलों को मिला पर्याप्त अवसर
क्षेत्र में लंबे समय तक पहले कांग्रेस का वर्चस्व रहा,फिर भाजपा का 15 सालों तक शासन रहा और नगर पंचायत में फिर कांग्रेस को अवसर मिला। काँग्रेस ने तो बकायदा अपने नगर पंचायत चुनाव के घोषणा पत्र में जिला निर्माण के मुद्दे को शामिल किया। लेकिन जिला निर्माण तो दूर की बात,भाजपा काँग्रेस के शीर्ष नेताओं अपने नेताओं से जिला निर्माण को लेकर बात तक नहीं की। जिसका नतीज़ा सामने है। और मोहला - मानपुर - अंबागढ़ चौंकी को जिले का दर्जा मिल चुका है। लेकिन खैरागढ़ को नहीं ?
अलग - अलग मंचों पर पहुंचे दोनों पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता
हालांकि जिला निर्माण समिति के बैनर तले भाजपा व कांग्रेस संगठन के आम पदाधिकारी और कार्यकर्ता अलग अलग मंचों पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। लेकिन दोनों पार्टियां जिला निर्माण की अंतिम लड़ाई में अग्रणी पंक्ति में खड़ी नज़र नहीं आ रही हैं। जिला निर्माण को लेकर जारी संघर्ष में व्यावसायिक व स्वयं सेवी संगठन तो अग्रणी पंक्ति की लड़ाई लड़ रहीं हैं। पर जिन्हें राजनीतिक लड़ाई के लिए जनता चुनती है। वो दोनों राजनैतिक दल अधिकृत तौर पर खामोश हैं।
क्षेत्रीय दलों ने खुलकर रखी मांग
- शिवसेना जिला निर्माण के मुद्दे पर पहले ही ज्ञापन सौंप चुकी है।
- आम आदमी पार्टी भी अपने पदाधिकारियों के साथ मिलकर एसडीएम को ज्ञापन सौंप चुकी है।
- जनता काँग्रेस जोगी ने अमित जोगी के आगमन के साथ ही अपनी नीति जिला निर्माण को लेकर स्पष्ट कर दी है।
न सत्ता, न विपक्ष
प्रदेश में आज कांग्रेस की सरकार है,और यदि कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता व पदाधिकारी चाहें तो ब्लॉक स्तर पर प्रस्ताव पारित कर संगठन के माध्यम से सरकार पर दबाव बना सकते हैं। इसी तरह विपक्ष में बैठी भाजपा आंदोलन में अपनी भूमिका निभाते हुए आक्रामक रवैया अख्तियार कर सकती है। परंतु दोनों बड़े राजनीतिक दल अपनी भूमिकाओं को त्याग व्यावसायिक और स्वयंसेवी संस्थाओं की आड़ में जिला निर्माण में अपनी भूमिका निभा रही हैं।
जनता के सवाल : -
- आखिर जनता क्यों चुनती है नेता ?
- विकास की लड़ाई में क्यों पिछड़ रहे नेता ?
- जिले की मांग पर नेताओं का मौन क्यों ?