00 छींदारी डैम में 41 लाख की योजना में बड़ा घोटाला,
खैरागढ़. छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ क्षेत्र में ईको-पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर तैयार की गई 41 लाख रुपये की योजना अब सवालों के घेरे में है। रानी रश्मि देवी सिंह जलाशय (छींदारी डैम) में अधूरे और बेहद घटिया स्तर के कार्यों को मिशन संडे की टीम ने उजागर किया है। यह टीम विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा के निर्देशन में कार्य कर रही है और रविवार को खुद विधायक मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया।
जांच में सामने आया कि अधिकांश निर्माण कार्य या तो अधूरे हैं या उनमें नाममात्र की गुणवत्ता है। मौके पर जो दिखा, वह केवल खानापूर्ति था—किचन शेड, मचान, कुर्सियां, बैठने की व्यवस्था सब कुछ बांस और हल्की लकड़ियों से बना हुआ मिला। आश्चर्य की बात यह है कि जिन कार्यों के लिए भुगतान पहले ही कर दिया गया है, वे कार्य आज तक पूरे नहीं हुए।
योजना की कागजी तस्वीर और जमीनी सच्चाई में बड़ा अंतर
परियोजना का नाम ‘ईको-पर्यटन केंद्र, छींदारी, सुख्खा’ है, जिसे वनमंडलाधिकारी, खैरागढ़ द्वारा प्रस्तावित किया गया था। वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस योजना के तहत कुल ₹41 लाख की स्वीकृति दी गई। इसमें स्थल समतलीकरण, पार्किंग, किचन शेड, स्टोर रूम, टॉयलेट, टेंट-मचान, सोलर लाइटिंग, बोटिंग, जेट्टी, प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार सहित 13 प्रमुख कार्य शामिल थे। मगर निरीक्षण के दौरान इनमें से अधिकांश कार्य अधूरे या नाममात्र के पाए गए।
ग्रामीणों का कहना है कि कार्य स्थल पर वन विभाग ने सिर्फ दिखावे के लिए कुछ झोपड़ीनुमा ढांचे खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि विभाग ने शासकीय राशि का खुला दुरुपयोग किया है।
विधायक ने जताई सख्त नाराजगी, विधानसभा में उठेगा मुद्दा
मौके पर मौजूद विधायक यशोदा वर्मा ने साफ तौर पर कहा, “यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार का मामला है। सरकार की योजनाएं जनहितकारी हैं लेकिन जिला स्तर पर अधिकारी व कर्मचारी योजनाओं को लूट का साधन बना रहे हैं।” उन्होंने कहा कि 41 लाख खर्च करने के बाद भी ज़मीनी स्तर पर नतीजे शून्य हैं, यह बताता है कि विभागीय स्तर पर खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है।
विधायक ने मामले को आगामी विधानसभा सत्र में उठाने की बात कही है और कहा कि वे इस योजना की सोशल ऑडिट की मांग करेंगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि संबंधित अधिकारी अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं लाते तो कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
मिशन संडे का खुलासा—10-12 लाख की लागत, फिर भी 41 लाख का खर्च
मिशन संडे के संयोजक मनराखन देवांगन ने बताया कि बांस, मिट्टी और जंगल की मुफ्त उपलब्ध सामग्री से काम कराकर लाखों रुपये का बिल पास किया गया है। उन्होंने कहा, “मौके का निरीक्षण करने के बाद यह साफ है कि 10–12 लाख से अधिक की लागत नहीं आई होगी। 14 लाख का काम ऐसे दिखाया गया जो हुआ ही नहीं।
मनराखन ने आरोप लगाया कि इस तरह का भ्रष्टाचार ना केवल वित्तीय अनियमितता है, बल्कि यह जनता के साथ विश्वासघात भी है। उन्होंने बताया कि मिशन संडे की टीम ने विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई कार्य सूची और राशि का खुलासा भी किया है, जिससे साफ है कि अधिकांश कार्य केवल कागज़ों में पूरे हुए हैं।
स्थानीयों की प्रतिक्रिया और टीम की मांग
निरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे, जिन्होंने खुलकर वन विभाग की कार्यशैली की आलोचना की। उनका कहना था कि वर्षों से इस तरह के प्रोजेक्ट केवल पैसा खाने के लिए बनाए जाते हैं और उसका जनता को कोई लाभ नहीं मिलता।
मिशन संडे की टीम ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। टीम का मानना है कि जब तक ऐसे भ्रष्टाचार पर सख्ती नहीं होगी, तब तक योजनाएं केवल कागज़ों में ही साकार होती रहेंगी।
होगी कार्रवाई या फिर फाइलों में दफन हो जाएगा मामला?
छींदारी डैम का यह भ्रष्टाचार न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि सरकार की विकास योजनाओं को पंगु बनाने वाला गंभीर मामला है। मिशन संडे की टीम ने जो काम प्रशासन को करना चाहिए था, वही ज़िम्मेदारी निभाकर जनता के सामने सच्चाई लाई है। अब देखना यह है कि इस रिपोर्ट के बाद शासन इस भ्रष्टाचार पर क्या कदम उठाता है—दोषियों को सज़ा मिलती है या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में गुम हो जाता है।
"मैं इस समय प्रशिक्षण पर हूं, लेकिन जानकारी मिली है कि विधायक निरीक्षण पर गए थे। प्रथम दृष्टया मुझे किसी प्रकार की गड़बड़ी नजर नहीं आई है। यदि कोई आरोप लगाए जा रहे हैं, तो उनकी विस्तृत जांच की जाएगी। अगर विधायक यह कहते हैं कि पूरा काम ही खराब है, तो वह संभव नहीं है। यदि किसी कार्य में अनियमितता बताई जाती है या कहा जाता है कि लागत से अधिक राशि निकाली गई है, तो उस विशेष कार्य की जांच कराई जाएगी। लेकिन समग्र रूप से यह कहना कि संपूर्ण कार्य खराब है, यह उचित नहीं है।"
– पंकज राजपूत, वन मंडलाधिकारी, खैरागढ़