00 शिक्षा की राह आसान करने उठी आवाज, अब राज्य शासन की प्रतिक्रिया पर टिकी निगाहें
शासन के सुशासन तिहार शिविर में शिक्षा और सामाजिक न्याय को लेकर एक महत्वपूर्ण मांग सामने आई, जब शैक्षिक प्रगतिशील मंच के संयोजक नीलेश यादव ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की बालिकाओं के लिए प्री व पोस्ट मैट्रिक कन्या छात्रावास स्थापित करने की पुरजोर मांग रखी। जनहित से जुड़ी इस गंभीर मांग को आदिवासी विकास विभाग ने प्राथमिकता देते हुए राज्य स्तरीय उच्च कार्यालय को प्रस्ताव के रूप में प्रेषित कर दिया है।
जिले में नहीं है एक भी ओबीसी कन्या छात्रावास
वर्तमान में खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिले में कुल 10 कन्या छात्रावास संचालित हैं, जिनमें से 5 अनुसूचित जाति (SC) व 5 अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए आरक्षित हैं। विभागीय प्रावधान के तहत इनमें 10% सीटें अन्य वर्गों के लिए आरक्षित होती हैं, जिसके अंतर्गत वर्तमान में 58 ओबीसी छात्राएं समायोजित की गई हैं।
हालांकि, नीलेश यादव का कहना है कि यह 10 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी बालिकाओं की बढ़ती संख्या और जरूरतों के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, "ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि की कई ओबीसी छात्राएं छात्रावास की सुविधा के अभाव में स्कूल और कॉलेज छोड़ने को मजबूर हो रही हैं।"
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने ओबीसी वर्ग के लिए पृथक कन्या छात्रावास की मांग को गंभीरता से लिया गया है और इसे राज्य कार्यालय को भेज दिया गया है। साथ ही, आवेदक को भी पत्र के माध्यम से इसकी जानकारी प्रदान की गई है।
उम्मीद राज्य शासन से जुड़ गई
अब जिले की उम्मीदें राज्य शासन से जुड़ गई हैं। देखना होगा कि शासन इस संवेदनशील मुद्दे पर कितनी त्वरित और ठोस कार्यवाही करता है और कब तक ओबीसी बालिकाओं को उनका न्यायोचित आवासीय अधिकार प्राप्त होता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आई सामने
इस पहल का स्वागत करते हुए विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने कहा, "ओबीसी बालिकाओं के लिए पृथक छात्रावास की स्थापना न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम होगा, बल्कि यह शिक्षा में समान अवसरों को भी मजबूती देगा।"