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मार्शल आर्ट प्रशिक्षण के नाम पर नगर निगम के अफसरों ने गुपचुप तरीके से करीब सात सालों में 30 लाख रुपये का किया घोटाला। घोटाला भी मार्शल आर्ट की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हर्षा साहू के नाम पर किया गया। अधिकारियों ने फंड की राशि को हड़पने के लिए कागज पर मार्शल आर्ट में खर्च होने की कहानी लिख दी।
2018-19 व 2019-20 के निगम के बजट में 10-10 लाख रुपये का प्रावधान था। इसके पहले भी 2014-15 से निर्भया फंड के तहत मार्शल आर्ट प्रशिक्षण के नाम पर बजट के प्रावधान से कम राशि खर्च की गई।
उल्लेखनीय है की निर्भया कांड के बाद नगरीय निकायों के स्कूलों में छात्राओं को आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट सिखाने की योजना बनाई गई। लेकिन निगम के स्कूलों में मार्शल आर्ट प्रशिक्षिका हर्षा साहू के मुफ्त प्रशिक्षण को योजना का हिस्सा बना दिया गया।
अभी तक निगम के स्कूलों में नियमित रूप से मार्शल आर्ट सिखाने के लिए ट्रेनर की नियुक्ति तक नहीं की गई है। नियमानुसार सभी 13 स्कूलों में नियुक्ति का प्रावधान है।
स्कूल प्रबंधन ने साधी चुप्पी
इस पूरे मामले में निगम के स्कूल प्रबंधन ने चुप्पी साध ली है। उनका कहना है की उन्हें नहीं मालूम कि राशि कहां गई। उनको केवल इतना ज्ञात है कि मार्शल आर्ट प्रशिक्षिका हर्षा साहू मुफ्त में प्रशिक्षण देती हैं।
मैं तो निजी और सरकारी स्कूलों में निशुल्क प्रशिक्षण देती हूं - हर्षा साहू
हर्षा साहू ने कहा- पिछले 20 सालों से सरकारी और निजी स्कूलों की छात्राओं को मैं निशुल्क ट्रेनिंग दे रही हूं। मुझे नहीं पता था कि निगम के स्कूलों में मेरे प्रशिक्षण देने के नाम पर राशि खर्च हो रही है।
पूरे मामले पर जिम्मेदारों का बयान
- मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है। बजट में मार्शल आर्ट के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए। राशि कहां खर्च की गई है, इसकी जांच कराएंगे। जब एक खिलाड़ी मुफ्त में प्रशिक्षण दे रही हैं तो उसके नाम पर खर्च दिखाना गलत है। इसके लिए निगम के स्कूलों में प्रशिक्षक नियुक्त होने चाहिए। - एजाज ढेबर, महापौर
-हम लोग बजट में हर मद का प्रावधान करते हैं। मार्शल आर्ट के लिए भी मद बना था। हर्षा साहू निगम के स्कूलों में प्रशिक्षण देती हैं। इस पर राशि खर्च हुई होगी। - प्रमोद दुबे, सभापति और पूर्व महापौर
- मुझे इसके बारे में अभी जानकारी नहीं है। देखना पड़ेगा, मार्शल आर्ट के नाम पर जो मद की राशि थी, वह कहां गई। पता करेंगे। - लोकेश्वर साहू, अपर आयुक्त, नगर निगम