ख़ैरागढ़ 00 नगर पालिका में आरसीसी कुर्सी खरीदी के नाम पर संगठित भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। कुर्सियों की खरीदी के इस खेल में राजनीतिज्ञ और अधिकारी दोनो शामिल हैं। तत्तकालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी के संरक्षण में पालिका ने कुल 70 लाख 63 हज़ार और 48 रूपए की अध्यक्ष व पार्षद निधि की बंदरबाट की गई है। पालिका से अर्जित इस अवैध धन को न केवल मोटे कमीशन के रूप में बांटा गया है। बल्कि इसी राशि को सामूहिक टूर में भी खर्च किया गया है। नियमों को ताक में रखकर मात्र उगाही की नीयत से इन कुर्सियों की खरीदी की गई है। जिसमें ज्यादातर कुर्सियां घटिया क्वालिटी के कारण टूट चुकी हैं। या फिर टूटने की कगार पर हैं। भौतिक गणना के अनुसार जितनी कुर्सियों की खरीदी बताई जा रही है। वह उनकी तुलना में काफी कम संख्या में है। कुल 262 कुर्सियां ही भौतिक रूप से नगरपालिका के विभिन्न वार्डों में नज़र आईं । प्रति कुर्सी 5 हज़ार अनुमानित मूल्य के अनुसार इन कुर्सियों की के लागत 13 लाख 10 हज़ार आंकी जा सकती है। कुर्सियों की खरीदी तत्कालीन सीएमओ सूरज सिदार के कार्यकाल में हुई थी।
71लाख में होती 1412 कुर्सियों की खरीदी
औसतन एक सीसी कुर्सी के बाज़ार मूल्य 3000 से 3500 रुपए है। और यदि पालिका में दिए जाने वाले निर्धारित कमीशन को जोड़ भी दिया जाए तो एक कुर्सी का मूल्य औसतन 5000 रूपए आंका जा सकता है। इस लिहाज से लगभग 71 लाख रूपए के खर्च में 1412 के आसपास आरसीसी कुर्सियां ख़रीदी जानी चाहिए थी। लेकिन मौके पर बमुश्किल 200 के आसपास कुर्सियां ही नज़र आ रही हैं। कुल मिलाकर 50 लाख से अधिक कमीशन खोरी की भेंट चढ़ चुका है।
अध्यक्ष निधि व पार्षद निधि का था पैसा
कुर्सी की बेजा खरीदी में खर्च की गई राशि अध्यक्ष व पार्षद निधि की थी। आम तौर पर इस राशि का उपयोग जन सुविधाओं के विस्तार में किया जाता है। जिसमें गली कांक्रीटीकरण,नाली निर्माण जैसी कितनी सुविधाओं का विस्तार किया जाता है। लेकिन एक बार की पार्षद निधि की लगभग संपूर्ण राशि बेजा तरीके से खर्च की गई।
इसलिए है संगठित भ्रष्टाचार
दरअसल सूत्रों की माने तो पालिका के तत्कालीन उच्च अधिकारी मौजूदगी में पालिका के जनप्रतिनधियों ने बकायदा तय किया।कि निर्माण कार्यो में कमीशन की राशि मिलने में समय ज्यादा लगता है। और एक साल होने के बाद भी कमीशन के रूप में कम राशि मिली है। जिसके बाद कुर्सी खरीदी का सारा खेल रचा गया। और कुर्सियों की खरीदी में लाखों का हेर फेर किया गया।
मनचाहे तरीके से दिया गया ठेका
कुर्सी खरीदी के लाखों का ठेका भी बिना किसी प्रक्रिया के मनचाहे तरीके से दिया गया। मतलब जिन फर्मों से फर्जी बिल बनवाए जा सकते थे। ऐसे फर्मो को ही कुर्सी खरीदी के लिए अधिकृत किया गया था।
याद नहीं है डिटेल,अध्यक्ष ही बताएंगे - सूरज सिदार,तत्कालीन सीएमओ,नगरपालिका,ख़ैरागढ़
तत्कालीन नगरपालिका सीएमओ सूरज सिदार ने कहा कि मुझे डिटेल याद नहीं है,नगरपालिका अध्यक्ष को जानकारी होगी। वही बता पाएंगे।
मामला पुराना है,नहीं है डिटेल - कुलदीप झा,प्रभारी सीएमओ,ख़ैरागढ़
प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी कुलदीप झा ने बताया कि आरसीसी कुर्सियों की खरीदी का मामला पुराना है,मुझे इसकी विस्तृत जानकारी नहीं है।