नई नीति में कहीं भी नहीं है शराबबंदी
शराब के पैसों से पलेगा छत्तीसगढ़ का गौवंश
गांव के गौठानों को विकसित करने और उनके रख-रखाव के नाम पर प्रति बोतल पांच रुपए अतिरिक्त आबकारी शुल्क लिया जाएगा। यानी अब छत्तीसगढ़ का गौवंश शराब की कमाई के भरोसे पलेगा।
ताजी बियर बनाओ और ताजी पिलाओ
अब हरेक संभाग में एक माइक्रोब्रेवरी लगाने का प्रावधान रखा गया है, जहां ताजी बीयर बनाओ और ताजी पियो का इंतजाम होगा। बस्तर और सरगुजा को छोड़ प्रदेश के सभी संभागों में इसके लिए लाइसेंस दिए जाएंगे।
अब आहाता में बिकेगा चखना भी
पहले आबकारी अफसरों के प्रश्रय पर नेतागिरी करने वाले ही चखना दुकान चलवाते थे, उसे बंद कराना तो दूर अब नीति में बदलाव कर चखना (खाद्य पदार्थ) बेचने की अनुमति देने की तैयारी है। आहाता लाइसेंस फीस भी बढ़ाई गई है।
बेवरेज कार्पाेरेशन को देंगे भंडारण का संचालन
विदेशी शराब देने और भंंडारण के लिए अनुज्ञप्ति प्रदान किए जाने की अनुमति दी गई है। इसी तरह देशी शराब के भंडारण के लिए जिलों में संचालित मद्य भांडागारों को छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेजेस कार्पोरेशन को सौंपने का निर्णय लिया गया है।
…और ये रहा मास्टर स्ट्रोक: शराबबंदी के लिए पार्टियों को रिमांडर लेटर
मंत्री परिषद की बैठक में हुए इस निर्णय के बाद बजट सत्र में विपक्षी पार्टियों का मुंह बंद करने की भी तैयारी कर ली गई। आबकारी विभाग के अवर सचिव मरियानुस तिग्गा ने नेता प्रतिपक्ष के साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधायकों के नाम मांगे है, जिन्हें शराबबंदी के लिए बनाई गई सर्वदलीय समिति में जोड़ा जा सके। कहा गया है कि शराबबंदी के लिए सरकार द्वारा गठित समिति में विधायकों को शीघ्रातिशीघ्र नामांकित करें जिससे समिति जल्द से जल्द अपना काम शुरु कर सके। जाहिर है कि बजट सत्र के दौरान जब शराबबंदी की बात उठेगी तो इसी पत्र का हवाला देकर इसे प्रक्रिया के अधीन बताया जाएगा।