The RAGNEETI is periodical magazine and the news portal of central India with the political tone and the noise of issues. Everything is in this RAGNEETI. info@ragneeti.co.in
Owner/Director : Bhagwat Sharan Singh
Office Address : New Bus Stand, Shiv Mandir Road, Khairagarh. C.G
दुर्ग। मनी बैक जीवन बीमा पॉलिसी लेने वाले शासकीय कर्मचारी को आठवें और बारहवें वर्ष में मनी बैक का बेनिफिट नहीं दिया, इस कृत्य को सेवा में निम्नता ठहराते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने भारतीय जीवन बीमा निगम की पदमनाभपुर दुर्ग शाखा पर 21 हजार रुपये हर्जाना लगाया।
परिवादी की शिकायत :
आनंद नगर दुर्ग निवासी शासकीय कर्मचारी ए.के. पाठक ने महासमुंद में पदस्थ रहते हुए भारतीय जीवन बीमा निगम से 28 फरवरी 2003 को जीवन सुरभि मनी बैक पॉलिसी ली थी, जिसका वार्षिक प्रीमियम 6170 था, इस पॉलिसी में 4 वर्ष बाद 30 प्रतिशत, 8 वर्ष बाद 30 प्रतिशत 12 वर्ष बाद 40 प्रतिशत मनी बैक बेनिफिट दिया जाना था एवं अंतिम वर्ष में परिपक्वता राशि का भुगतान किया जाना था। शासकीय कर्मचारी होने के कारण परिवादी का महासमुंद से दुर्ग स्थानांतरण हुआ तब उसने अपनी बीमा पॉलिसी को भी दुर्ग स्थानांतरित करा लिया। स्थानांतरण के पश्चात परिवादी को पॉलिसी से मिलने वाली मनी बैक बेनिफिट आठवें वर्ष (2011) और बारहवें वर्ष (2015) में नहीं मिली और दिनांक 28 फरवरी 2018 को पॉलिसी परिपक्व होने के बाद भी उसे इस लाभ से वंचित रखा गया। इसके बाद परिवादी ने लिखित में जानकारी भी बीमा कंपनी को दी लेकिन परिवादी को उसकी मनी बैक बेनिफिट रकम 41648 रुपये का भुगतान नहीं किया गया।
यह भी पढ़ें :देश के टॉप-10 मुख्यमंत्रियों में CM भूपेश बघेल को मिला दूसरा स्थान, जानिए पहले और तीसरे नंबर पर कौन है
अनावेदक का जवाब :
बीमा कंपनी ने प्रकरण में उपस्थित होकर जवाब दिया कि परिवादी ने अपनी पालिसी महासमुंद से क्रय की थी जिसका भुगतान महासमुंद शाखा से प्राप्त होना था और आठवें वर्ष में 15000 रुपये एवं बारहवें वर्ष में 20000 रुपये का चेक महासमुंद शाखा से समय पर भेजा गया था किंतु परिवादी के नाम से जारी पॉलिसी ट्रांसफर हो जाने के कारण और परिवादी द्वारा किसी प्रकार की सूचना नहीं दिए जाने के कारण परिवादी को भुगतान नहीं हो सका। कंपनी ने भुगतान करने का प्रयास किया था। परिवादी ने ही घोर लापरवाही की है।
फोरम का फैसला :
प्रकरण में पेश दस्तावेजों एवं प्रमाणों तथा दोनों पक्षों के तर्को के आधार पर जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह निष्कर्ष निकाला कि परिवादी का स्थानांतरण दुर्ग हुआ तब परिवादी ने नए पते की सूचना दी थी ऐसे में अनावेदक का यह दायित्व था कि आठवें एवं बारहवें वर्ष मिलने वाली राशि को परिवादी के पालिसी में दर्शित पते पर भेजता। इसके बाद जब बीमा कंपनी ने दिनांक 28 फरवरी 2018 को अंतिम भुगतान किया उस दौरान भी परिवादी को आठवें एवं बारहवें वर्ष की राशि का भुगतान किया जा सकता था किंतु उस समय भी परिवादी को उसकी राशि नहीं दी गई जबकि अनावेदक को परिवादी के पते का ज्ञान हो चुका था।
यह भी पढ़ें :नवाजुद्दीन के भाई पर लगा यौन शोषण का आरोप, खुद भतीजी ने चाचा पर आरोप लगाया : देखिए पूरी खबर
उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रकरण के लंबित रहने के दौरान बीमा कंपनी ने 41648 रुपये का भुगतान आठवें और बारहवें वर्ष के लिए ब्याज सहित किया है। ये राशि परिवादी को वर्ष 2011 एवं 2015 में ही अनावेदक से प्राप्त होनी थे किंतु उसे राशि प्राप्त नहीं हुई और कई वर्षों तक पत्र व्यवहार करना पड़ा और अनावश्यक चक्कर लगाने पड़े। इससे उसे आर्थिक व मानसिक पीड़ा हुई है और परिवादी अपनी ही राशि से कई वर्षों तक वंचित रहा। यदि परिवादी ने फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत न किया गया होता तो उसे उसकी राशि भी प्राप्त नहीं होती। इस आधार पर परिवादी अनावेदक बीमा कंपनी से 20000 रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है साथ ही बीमा कंपनी को वाद व्यय के रूप में 1000 रुपये भी परिवादी को देना होगा।
यह भी पढ़ें :रायपुर पुलिस ने बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा को भेजा नोटिस,तथ्यों के साथ थाना में पेश होने का आदेश
रागनीति के ताजा अपडेट के लिए फेसबुक पेज को लाइक करें और ट्वीटर पर हमें फालो करें।