रायपुर : पुराने मनरेगा घोटाले मामले में महिला एसडीएम ज्योति बबली बैरागी और जनपद सीईओ एसके मरकाम को सस्पेंड कर दिया गया है जांच टीम को आदेश दिया गया है कि 1 महीने के अंदर संभावित को प्रतिवेदन जारी किया जाए। इस घोटाले को दबाकर रखने के मामले में भी एक अधिकारी के ऊपर कार्यवाही करने का आदेश दिया गया है।
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दरअसल बलरामपुर रामानुजगंज जिले के वार्ड रूप नगर इलाके में मनरेगा का काम कागजी तौर पर चला और 38 लाख से अधिक का भुगतान केवल पन्नों पर हुआ। इसी मामले का खुलासा होने के बाद महिला अधिकारी ज्योति बबली बैरागी और सीईओ एस के मकान को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही साथ मनरेगा के कार्यकारी अधिकारी रहे अश्वनी तिवारी के विरुद्ध एफआइआर कराने को कहा गया है।
पूरा मामला :
वर्ष 2014-15 और 2015-16 में मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत कुंदरू के चकोतरा में मिट्टी मुरूम सड़क पुल का निर्माण कार्य, ग्राम पंचायत तोगोवा में नदी किनारे तटबंध निर्माण, ग्राम पंचायत जमाई में डब्ल्यूबीएम और ग्राम पंचायत पेंडारी में मिट्टी मुरूम सड़क पुल निर्माण किया जाना था, लेकिन जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि कोई काम हुआ ही नहीं, बल्कि 38 लाख से अधिक का भुगतान फर्जी तरीके से किया गया है इस मामले को लेकर संभागायुक्त ने जिला पंचायत बलरामपुर से की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी।
आपको बताते चलें कि हाल ही में 30 अप्रैल को बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हुए विवाद के बाद यह पुराना मामला उजागर हुआ है।
आखिर क्या था रेस्ट हाउस विवाद?
बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर दो अधिकारियों के बीच विवाद हो गया। गेस्ट हाउस में ठहरने को लेकर विवाद हुआ, दरअसल वाड्रफनगर के एसडीएम ज्योति बबली पीडब्ल्यूडी विभाग के गेस्ट हाउस में पहले से रुकी हुई थी और आईपीएस अधिकारी भी उसी गेस्ट हाउस में पहुंच गए।
इतने में महिला एसडीएम ज्योति भड़क उठी और बातें सुनाने लगी। इस बात की जानकारी एसडीओपी को मिलते ही तुरंत मौके पर पहुंचे, पर महिला एसडीएम ने उन्हें भी गेट आउट कह दिया मामले की गंभीरता को देखते हुए आईपीएस अधिकारी ने वहां से जाना ही ठीक समझा।
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