कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह ने कहा: उत्तर प्रियदर्शी गीतिनाट्य में हम सब ने यह देखा कि गीत अर्थात कविता के साथ, नृत्य कला, संगीत कला और नाट्यकला कैसे एक-दूसरे में गुम्फित हैं। इस सफल प्रस्तुति के लिए निर्देशक डाॅ. देवमाईत मिंज और सभी कलाकार धन्यवाद के पात्र हैं।
नियाव@ खैरागढ़
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में नाट्य विभाग के छात्रों ने गीतिनाट्य की प्रस्तुति दी, जिसमें प्रियदर्शी अशोक की सत्ता के अहंकार और मनुष्य की परिधि के बोध और बुद्ध की करुणा के सम्मुख हिंसात्मक शक्तियों के हृदय परिवर्तन को कलाकार छात्रों द्वारा बखूबी उभारा गया। संगीत से सुसज्जित इस गीतिनाट्य में विजय के अहंकार में डूबे लोगों को यह संदेश देने का सफल प्रयास किया गया।
मृत्यु से साक्षात्कार के बिना अमरतत्व नहीं मिलता, नरक की पहचान के बिना नरक से मुक्ति का कोई अर्थ नहीं होता। इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय रचित गीतिनाट्य उत्तर प्रियदर्शी का प्रभावी मंचन कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह के मुख्य आतिथ्य, डीन प्रो. इन्द्रदेव तिवारी, विशिष्ट आतिथ्य और हिंदी की एचओडी प्रो. मृदुला शुक्ल की उपस्थिति में किया गया। इसे हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डाॅ. देवमाईत मिंज ने निर्देशित किया। इस गीतिनाट्य में अमरिक श्रीवास्तव, प्रिंस, आकाश शाक्य, चन्द्रहास बघेल, सचिन भारतीय, वाय मृदुला, पूजा नाग, रोहित कुमार, सोनी रगड़े, चंचल वर्मा, नुपोरेराॅय, इला चंदेल, हिमानी सराठी, पूनम गुप्ता, विद्या नायर, प्रशांत साहू, कुशल सुधाकर, हरिशंकर, सनी देव, हरीश मार्को, भूपेश, दिनेश, ज्ञानी प्रसाद, स्वर्ण कुमार, किशन ने कई पात्रों का मंच पर जीवंत अभिनय किया।

गीतनाट्य को पर्दे के पीछे इन्होंने संवारा…
म्युजिक पर…
तबले पर सहायक प्राध्यापक हरिओम हरि, नृत्य पक्ष में सहायक प्राध्यापक सुशांत दास, सह निर्देशन में अतिथि शिक्षक शिशु कुमार तथा बांसुरी पर बिहारी लाल तारम शोध सहायक तथा वायलिन पर जिंकी राय की सराहनीय संगति रही।
लाइट एंड साउंड…
प्रकाश संयोजन और रूपसज्जा में सागर गुप्ता, आकाश कुमार, अलबर्ट श्रीवास्तव, अजितेश शर्मा, रानी मादमे, तृप्ति खरे, निश्चय ठाकुर, चेतन कुरेकर, अरविन्द प्रजापति, मनीष सोनवानी का विशेष योगदान रहा।

और इन्हें भी जानिए…
विभागाध्यक्ष हिन्दी प्रो. मृदुला शुक्ल के लघुशोध परियोजना के विषय हिन्दी गीतिनाट्यों में कविता, संगीत और नाटक का अंतःसंबंध का यह प्रस्तुति एक हिस्सा है। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार व्यक्त सहायक प्राध्यापक डाॅ. योगेन्द्र चौबे ने किया।
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