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बख्शी स्कूल ख़ैरागढ़ के इतिहास का जीता जागता प्रमाण,अस्तित्व से न हो छेड़छाड़

 

ख़ैरागढ़. टीएसी के सदस्य व सांसद प्रतिनिधि भागवत शरण सिंह ने पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्कूल में आत्मानंद स्कूल के शिक्षा विभाग के फैसले को गैर वाजिब बताया है। और कहा है कि किसी भी सूरत में बख्शी स्कूल के अस्तित्व को खत्म नहीं करने दिया जाएगा। भागवत शरण ने कहा कि बख्शी स्कूल ख़ैरागढ़ के गौरवशाली इतिहास का जीता जागता प्रमाण हैं। जिससे न केवल यहाँ के सैकड़ों नागरिकों की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। बल्कि इतिहास के कभी न भुलाए जा सकने वाले पन्ने जुड़े हुए हैं। ऐसे में जन भावनाओं को दरकिनार कर अस्थाई तौर पर भी बख्शी स्कूल परिसर में आत्मानन्द स्कूल खोले जाने का फैसला बेतुका है। जबकि प्रशासन के पास पर्याप्त विकल्प मौजूद हैं। जिसमें डाइट परिसर में खाली पड़ा छात्रावास एक बेहतर विकल्प हो सकता है। जिसके सामने खेल मैदान से लेकर पर्याप्त बड़ा कैंपस मौजूद है। भागवत ने कहा कि इसके अतिरिक्त शासन शासकीय कन्या शाला में आत्मानंद स्कूल की वैकल्पिक व्यवस्था कर सकता है।

काफी वर्षों तक किया अध्यापन

 

 

इतिहास पर प्रकाश डालते हुए भागवत ने बताया कि 1835 में अस्तित्व में आए बख्शी स्कूल का पहले नाम विक्टोरिया स्कूल था। तब पंडित रविशंकर शुक्ल इसके प्राचार्य रहे और साहित्य मनीषी पं.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी यहाँ अध्यापक रहे। और काफी वर्षों तक अध्यापन कार्य किया। पूर्व शासनकाल में जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए विक्टोरिया स्कूल का नाम स्व.बख्शी के नाम पर रखा गया।

जनभावनाएं होंगीं आहत

 

 

भागवत ने कहा कि पंडित पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी के नाम पर ख़ैरागढ़ के अतिप्राचीन स्कूल का नाम किया जाना ही सही मायने उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि रही। क्योंकि ख़ैरागढ़ में अध्यापन के बाद ही बख्शी ने साहित्य की राह थामी और उनके नाम के साथ ही ख़ैरागढ़ का नाम राष्ट्रीय पटल अंकित हो गया। इतिहास के ऐसे सुनहरे के साथ छेड़छाड़ सही नहीं हैं। और इससे जनभावनाएं आहत होंगीं।

 

निर्धन वर्ग के लिए आवश्यक है आत्मानंद स्कूल

 

 

भागवत शरण ने कहा कि निश्चित तौर पर आत्मानंद इंग्लिश मिडियम स्कूल खुलना चाहिये। जिससे गरीब तबके के बच्चे लोंग निशुल्क इंग्लिश माध्यम की शिक्षा प्राप्त कर सके। लेकिन उसके लिये अन्य विद्यालय का चयन सही होगा।पहले से ही बख्शी स्कूल में दो पाली में स्कूल संचालित है।ऐसे में आत्मानंद स्कूल उक्त संस्था में किस समय संचालित होगा ? यह चिंतनीय है। कक्षा 6 - कक्षा 12 तक अध्यनरत हिंदी माध्यम के 1500-2000 बच्चो के भविष्य का क्या होगा ?

अमलीपारा स्कूल में खुलने का हुआ है प्रस्ताव पारित

 

स्थाई रूप से अमली पारा हाई स्कूल में आत्मानंद के संचालन के लिए प्रस्ताव पारित हुआ है,पर पता नहीं किस ज़िद की वजह से इसे बख्शी स्कूल में खोले जाने का प्रयास हो रहा है। आत्मानंद के संचालन को लेकर अस्थाई विकल्प का कोई नियम नहीं है। एक बार जहां आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू हो जाता है। उसके बाद उसे हटाया नहीं जा सकता और आत्मानं इंग्लिश मीडियम स्कूल के संचालन के बाद हिंदी मीडियम कि पूर्व में संचालित संस्था आने वाले वर्षों में बंद हो जाती है। ऐसा देखा गया है।

 

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