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संविधान दिवस पर बाबा साहब अंबेडकर के योगदान को किया याद Featured

खैरागढ़ 00 26 नवम्बर रविवार को शहर के डॉ अम्बेडकर चौक में संविधान दिवस का हर्सोल्लास के साथ स्मरण, आभार और कृतज्ञतापूर्ण आयोजन हुआ। कार्यक्रम में संविधान निर्माण की चुनौतियों, भारत की सांस्कृतिक विविधता, संविधान के शिल्पकार और सभी जीवट सदस्यों के महान योगदान को याद किया गया। उदबोधन में प्रमुख वक्ताओं में वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष सिंह, साहित्यकार डॉ.जीवन यदु राही,एडवोकेट कमलाकांत पाण्डे, चिंतक भागवत शरण सिंह रहे। कार्यक्रम का संचालन जिपं सभापति विप्लव साहू ने किया। कार्यक्रम का आरम्भ इकरा फाऊंडेशन केव माही वर्मा एवं समूह द्वारा संविधान प्रस्तावना का वाचन के साथ किया गया। कार्यक्रम में एसडीओपी लालचंद मोहले और  नगर निरीक्षक राजेश देवदास ने भी उपस्थित जन समुदाय को संविधान दिवस की बधाई दिए। 


संविधान लाल गठरी में बांधने के लिए नहीं है - ठाकुर सुभाष सिंह


प्रमुख वक्ता सुभाष सिंह ने कहा बाबा साहब को संविधान समिति प्रमुख का जिम्मा देते हुए गांधी जी ने कहा था कि उनसे उपयुक्त व्यक्ति भारत में अभी कोई नहीं है। भारतीय संविधान लाल गठरी में बांधने के लिये नही है इसे पढ़ने की जरूरत है। यह ठीक ढंग से अमल में नही हो पाया है, तब के नेता डॉ अंबेडकर के सिद्धांत को मानते थे आपके नेता और देश उनकी अवमानना कर रहे हैं, इसीलिए लोकतंत्र कमजोर पड़ रहा है।


मौलिक कर्तव्यों की दिलाता है याद - डॉ. जीवन यदु राही


डॉ. जीवन यदु राही ने विस्तृत विश्लेषण करते हुए कहा कि 3 चरणों कर्तव्य, अधिकार और इम्प्लीमेंटेशन को पूरा करे तभी संविधान का मकसद पूरा हो सकता है। आज ही के दिन 26 नवम्बर 1949 में   संविधान सभा में वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया गया था. इसी की याद में हर साल संविधान दिवस मनाते हुए एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का जश्न मनाते हैं. जहां एक तरफ हमारा संविधान हमें आजादी के साथ जीने का हक देता है, तो दूसरी तरफ हमारे कुछ मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाता है।


विश्व का सबसे बड़ा संविधान - कमलाकांत पांडे


अधिवक्ता कमलाकांत पांडे ने कहा कि हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। जिसे बनाने में करीब 3 साल लगा। संविधान में देश के सभी नागरिकों को मूल अधिकार मिले हैं जिसके तहत कोई भी नागरिक किसी भी धर्म को मान सकता है, कहीं भी आ जा सकता है, समानता का अधिकार प्राप्त है। 


प्रतिमा के पास आकर मिलती है ऊर्जा - भागवत शरण सिंह


भागवत शरण सिंह ने कहा कि बाबा साहब की प्रतिमा के पास आकर हमे ऊर्जा मिलती है ।बाबा साहब का जो न्याय का सिद्धांत था और उनका दर्शन था कि सारा समाज एक स्थान पर एक साथ खड़ा हो सके। 75 साल बाद 2015 में पहली बार देश में संविधान दिवस मनाया गया। राष्ट्रीय पर्वों की तरह यह दिन भी महत्वपूर्ण है। आज के दौर में संविधान दिवस कार्यक्रम अतिआवश्यक है। लोगों को अपने कर्तव्यों और अधिकारों की जानकारी नही होने के कारण ही मूल हक और अधिकार से वंचित रह जाते हैं। बाबा साहब ने बेहद कड़ी मेहनत की है जिसके कारण ही देश के संविधान की चर्चा दुनिया मे होती है। 


आम आदमी और राजा दोनों के अधिकार बराबर - संदीप कोलाहटकर


संदीप कोल्हाटकर ने कहा कि बाबा साहब के बनाये इस संविधान के बदौलत ही आज हम कुछ बराबरी पर खड़े हैं। संविधान से ही आम लोग नेता-अधिकारी, कलेक्टर बन रहे हैं ये बाबा साहब की देन है। अम्बेडकर तमाम तरह के अभाव का दंश, बहिष्कार, गहन शिक्षा के साथ कानून और सभी तरह के अथक संघर्ष से तपकर निकले हैं। अगर संविधान ना होता तो आज गाय चराने वाले लोग नेता नहीं होते, खेती करने वाले लोग अधिकारी नहीं होते। अंबेडकर ने राजा-रंक, उद्योगपति और आम आदमी दोनों के अधिकार को बराबर कर दिया।


ये रहे मौजूद


कार्यक्रम में संतोष कामडे जिलाध्यक्ष बौद्ध महासभा, एड मनराखन देवांगन, उत्तम बागड़े, गुलाब चोपड़ा, मंसारम सिमकर, नीलेश यादव, अजय जैन, प्रशांत सहारे, खलील कुरैसी, मनोज गुप्ता, एड ज्ञानदास बंजारे, शीतल जैन, शक्ति सिंह, नंदा नागेदेव, डॉ. मकसूद, रानी तिवारी, शिवानी परिहार, डॉ संतोष मारिया, बहादुर कुर्रे, राजू यदु, दुर्गेशनंदनी श्रीवास्तव, लता तिवारी शामिल हुए। साथ ही मधुकर चोखान्द्रे, कविता नागदेवे, छाया चौरे, मिना चोखान्द्रे, जयमाला बागड़े, कमलेश भोमले, शशि रामटेके, विमल बोरकर, मंगल सारथी, राजकुमार दुबे, नीतू रामटेके सहित दर्जनों लोगों ने गरिमामय और उल्लासपूर्ण उपस्थिति के साथ संविधान दिवस का पर्व मनाया।

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Last modified on Monday, 27 November 2023 18:05

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